महंगाई के स्वरूप महंगी और महंगाई बढ़ने के कारण महंगाई रोकने के उपाय अंत लेख
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Problem Of Inflation Essay In Hindi
महंगाई की समस्या पर निबन्ध – Problem Of Inflation Essay In Hindi
June 5, 2020 by Laxmi
महंगाई की समस्या पर निबन्ध – Essay On Problem Of Inflation In Hindi
रूपरेखा–
प्रस्तावना,
महँगाई के कारण–
(क) जनसंख्या में तेजी से वृद्धि,
(ख) कृषि उत्पादन व्यय में वृद्धि,
(ग) कृत्रिम रूप से वस्तुओं की आपूर्ति में कमी,
(घ) मुद्रा–प्रसार,
(ङ) प्रशासन में शिथिलता,
(च) घाटे का बजट,
(छ) असंगठित उपभोक्ता,
(ज) धन का असमान वितरण,
महँगाई के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाली कठिनाइयाँ,
महँगाई को दूर करने के लिए सुझाव,
उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
महंगाई की समस्या पर निबन्ध – Mahangaee Kee Samasya Par Nibandh
प्रस्तावना–
भारत की आर्थिक समस्याओं के अन्तर्गत महँगाई की समस्या एक प्रमुख समस्या है। वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि का क्रम इतना तीव्र है कि आप जब किसी वस्तु को दोबारा खरीदने जाते हैं, वस्तु का मूल्य पहले से अधिक बढ़ा हुआ होता है। दिन–दूनी रात चौगुनी बढ़ती इस महँगाई की मार का वास्तविक चित्रण प्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी की इन पंक्तियों में हुआ है-
पाकिट में पीड़ा भरी कौन सुने फरियाद?
यह महँगाई देखकर वे दिन आते याद।।
वे दिन आते याद, जेब में पैसे रखकर,
सौदा लाते थे बजार से थैला भरकर।।
धक्का मारा युग ने मुद्रा की क्रेडिट में,
थैले में रुपये हैं, सौदा है पाकिट में॥
महँगाई के कारण–वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि अर्थात् महँगाई के बहुत–से कारण हैं। इन कारणों में अधिकांश कारण आर्थिक हैं। कुछ कारण ऐसे भी हैं, जो सामाजिक एवं राजनैतिक व्यवस्था से सम्बन्धित हैं। इन कारणों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
(क) जनसंख्या में तेजी से वृद्धि–भारत में जनसंख्या के विस्फोट ने वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाने की दृष्टि से बहुत अधिक सहयोग दिया है। जितनी तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, उतनी तेजी से वस्तुओं का उत्पादन नहीं हो रहा है। इसका स्वाभाविक परिणाम यह हुआ है कि अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि हुई है।
(ख) कृषि उत्पादन–व्यय में वृद्धि–हमारा देश कृषिप्रधान है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। विगत वर्षों से खेती में काम आनेवाले उपकरणों, उर्वरकों आदि के मूल्यों में वृद्धि हुई है। परिणामत: उत्पादित वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती जा रही है। अधिकांश वस्तुओं के मूल्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि–पदार्थों के मूल्यों से सम्बद्ध होते हैं। इस कारण जब कृषि–मूल्य में वृद्धि हो जाती है तो देश में अधिकांश वस्तुओं के मूल्य अवश्यमेव प्रभावित होते हैं।