Hindi, asked by taranveermeelu, 1 year ago

‘महँगाई की समस्या’ पर ‘100-150’ शब्दों का लेख लिखें ?

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Answered by shreya31032006
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*महंगाई की समस्या*

*भूमिका* : स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की आर्थिक दशा जर्जर थी। सुई से लेकर बड़ी-बड़ी मशीनों तक तथा यहाँ तक की खाद्यान्नों के लिए भी हम दूसरे देशों पर आश्रित थे। देश में कृषि तथा उद्योग धंधों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा हर क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ। प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित की गईं, हरित क्रांति के माध्यम से कृषि-क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की गई तथा अन्य क्षेत्रों में भी सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए गए, परंतु फिर भी भारतीय जनता को अनेक प्रकार की समस्याओं से छुटकारा नहीं मिल पाया है। ऐसी ही एक समस्या है- महँगाई की समस्या, जिसने आज सभी को पस्त कर रखा है।

*महँगाई का आशय* : जब जीवनोपयोगी वस्तुएँ अधिक मूल्यों पर उपलब्ध होती हैं, तो इस स्थित को महँगाई की समस्या कहकर संबोधित किया जाता है। इस समस्या के कारण निम्न तथा मध्यम वर्ग को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। आज महँगाई की समस्या अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई है। जिसके कारण वस्तुओं के दाम आसमान को छू रहे हैं।

*महँगाई की समस्या के कारण :* महँगाई की समस्या के अनेक कारण हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार जब किसी वस्तु की माँग उसके उत्पाद के अनुपात में बढ़ने लगती है, तो उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है, पर आज की स्थिति को देखते हुए इस कथन की उपयुक्तता संदेहास्पद लगती है क्योंकि आज वस्तुओं का उत्पादन उनकी माँग की तुलना में कम

नहीं है। देश लगभग हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। फिर भी वस्तुओं के मूल्य आसमान को छू रहे हैं। भारत में महँगाई के बढ़ने के कारणों में पूँजीपतियों, व्यापारियों तथा उद्योगपतियों द्वारा अधिक लाभ कमाने की प्रवृत्ति, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, बढ़ता भ्रष्टाचार, गलत सरकारी नीतियाँ, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। प्राकृतिक प्रकोप जैसे- भयंकर सूखा, बाढ़, भूकंप आदि के कारण भी महँगाई बढ़ती है। व्यापारी वर्ग प्रायः किसी बस्तु का कृत्रिम अभाव दिखाकर उसके दाम में वृद्धि करके महँगाई बढ़ा देते हैं।

*दुष्परिणाम* : महँगाई की समस्या अनेक प्रकार की समस्याओं की जननी है। भ्रष्टाचार, अपराध, अशांति, तस्करी तथा अनैतिक घटनाओं के जन्म के लिए महँगाई की समस्या भी उत्तरदायी है। महँगाई की समस्या के कारण निम्न तथा निम्न मध्यवर्ग को अधिकाधिक कठिनाइयों तथा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपने परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो जाता है ऐसी स्थितियों में लोग विभिन्न अपराधों की ओर उन्मुख हो जाते हैं। चोरी, डाका, हत्या, लूट पाट तथा अपहरण जैसी घटनाओं के मूल में भी कहीं-न-कहीं महँगाई की समस्या अवश्य है। महँगाई के कारण गरीब और अमीर की खाई और बढ़ती जाती है।

आज छोटी से छोटी वस्तुओं को भी यदि लें, तो पाएँगे कि उनके भाव कहाँ से कहाँ पहुँच गए हैं। पहले कभी कहा जाता था कि गरीब लोग दाल-रोटी खाकर अपना गुजारा कर लेते हैं, पर आज तो दालों के भाव आसमान छू रहे हैं गरीबों की छोड़िए आज मध्यम वर्ग के लोग भी उनका उपयोग सीमित मात्रा में ही कर पाते हैं। सब्जियों के मूल्य का भी यही हाल हैं। ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी समस्या यह है कि गरीब लोग अपना गुजारा कैसे करें?

*नियंत्रण के सुझाव* : महँगाई की समस्या रोकने में केवल सरकारी कानून ही प्रभावी हो सकते हैं। यदि सरकार चाहे तो महँगाई की समस्या नियंत्रित की जा सकती है। देश में जब आपात स्थित लागू की गई थी, तब प्रत्येक वस्तु का मूल्य निश्चित था। प्रत्येक दुकानदार को वस्तुओं का मूल्य लिखकर टांगने अनिवार्य था। अतः यदि कड़ाई से काम लिया जाए, तो महँगाई बढ़ने का प्रश्न ही नहीं उठता। सरकार की ढील के कारण ही वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं। यदि किसी वस्तु की कमी के कारण महँगाई बढ़ती है, तो सरकार को चाहिए कि उसका आयात किया जाए। सरकार को ऐसे कड़े कानून बनाने चाहिए कि निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य वसूल करने वालों के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान हो । यदि सरकार प्रत्येक वस्तु का मूल्य नियत कर दे, व्यापारियों के लिए वस्तुओं की मूल्य-सूची लिखकर टाँगना अनिवार्य कर दे तथा नियत मूल्य से अधिक मूल्य पर वस्तुएँ बेचने वालों के लिए कठोर सजा का प्रावधान हो, तो महँगाई पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

Hope it will help you!

Answered by tushargupta0691
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Answer:

वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि जिससे किसी राष्ट्र की क्रय शक्ति में गिरावट आती है, मुद्रास्फीति कहलाती है। हालांकि मुद्रास्फीति किसी भी देश की सामान्य आर्थिक घटना का एक हिस्सा है, लेकिन पूर्व-निर्धारित स्तर से ऊपर मुद्रास्फीति में कोई भी वृद्धि चिंता का कारण है। महंगाई के कई कारण हैं। नवीनतम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2010-11 के दौरान भारत का खाद्य उत्पादन 235 मिलियन टन को पार कर गया और यह आजादी के बाद सबसे अधिक है। पिछले उच्चतम उत्पादन, लगभग 233 मिलियन टन, 2008-09 में हासिल किया गया था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एस अय्यप्पन के अनुसार, इन सभी वर्षों में हासिल की गई 4% वृद्धि की तुलना में वर्ष 2010-11 में कृषि में 5.4% की वृद्धि दर्ज की गई।

हालांकि, मुद्रास्फीति अति ताप को दर्शाती है: अर्थव्यवस्था की आपूर्ति क्षमता उस क्षमता की मांगों से मेल खाने में असमर्थ है। इसके अलावा, उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ रही है और इसलिए मांग में तेजी आ रही है। कृषि के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी बढ़ रहा है। वर्ष 2009-10 के दौरान धान की विभिन्न किस्मों के लिए एमएसपी ₹ 950-980 प्रति क्विंटल के बीच था और वर्ष 2010-11 के दौरान यह बढ़कर ₹ 1000 से 1030 प्रति क्विंटल हो गया।

जैसा कि अर्थशास्त्रियों ने बताया है, मुद्रास्फीति गर्मियों की फसलों की खेती के लिए आवश्यक कमजोर मानसून के कारण हुई। चीन के बाद फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद, कुशल कोल्ड स्टोरेज और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण भारत कमी से जूझ रहा है। हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने 2015 तक मुद्रास्फीति को 8% तक कम करने का वादा किया है। मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के सभी उपाय तभी सफल होंगे जब आपूर्ति श्रृंखला में बिचौलियों को अपनी नापाक गतिविधियों को करने से रोक दिया जाएगा। तभी हम अपने खाने की थाली में प्याज और टमाटर से वंचित नहीं रह सकते।

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