महँगे व कीमती वस्त्रों की संग्रहण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
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विवाह, त्यौहार, उत्सव एवं विभिन्न समारोह में कीमती व महँगे वस्त्रों को धारण किया जाता है। बनारसी, ब्रोकेड, असली जरी-गोटे और कीमती रत्नों से जड़ित वस्त्र इत्यादि को विशेष देखभाल और संग्रहण की आवश्यकता होती है क्योंकि इन्हें लम्बे समय तक सहेज कर रखना होता है। इसके लिए सन्दूक, अटैची और बन्द अलमारी का उपयोग किया जाता है। इन महँगे व कीमती कपड़ों को कभी गर्म कपड़ों के साथ नहीं रखना चाहिए। असली सोने चाँदी से जड़े वस्त्र, बनारसी साड़ियाँ, ब्रोकेड, जरी-गोटे के वस्त्रों को साफ-सुथरे मलमल के कपड़े में लपेटकर रखने चाहिए। इससे जरी व गोटा और कीमती रत्न काले नहीं पड़ते और खराब नहीं होते हैं।
जिस स्थान पर वस्त्रों का संग्रहण कर रहे हैं, जैसे – सन्दूक, अलमारी उनको साफ करके नीम की सूखी पत्तियाँ बिछा देनी चाहिए। अब साफ कपड़ा बिछाकर उस पर कीमती कपड़ों को रखना चाहिए। समय-समय पर इन जरी वाले वस्त्रों को हवा में फैलाकर तह बदलकर रखते रहना चाहिए। इससे कीमती वस्त्रों की गुणवत्ता बनी रहती है। रेशमी वस्त्रों को भी उपरोक्त कीमती वस्त्रों की तरह से सहेज कर रखना चाहिए। चूँकि रेशमी वस्त्र कीमती होने के साथ नाजुक भी होते हैं। अत: इनको विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
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