महाकाव्य में कितने सर्ग होते हैं
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Explanation:
महाकाव्य में 8 सर्ग होते हैं ना बहुत बड़े ना बहुत छोटे
महाकाव्य में आठ से अधिक सर्ग होते है।
न कम न अधिक अष्टाधिक सर्ग होते है।
वह काव्य जिसमें सर्गो का निबंधन हो, महाकाव्य कहलाता है।
- महाकाव्य का प्रथम सूत्रबद्ध संस्कृति काव्यशास्त्र में आचार्य लक्ष्मण भामह ने प्रस्तुत किया।
- परवर्ती आचार्यों ने दंडी, रुद्रट व विश्वनाथ ने सूत्रबद्ध का विस्तार किया है।
- महाकाव्य में भारत को भरत का देश अथवा भारतवर्ष कहा गया है। भारत के निवासियों को भरत की संतान कहा गया है।
- महाकाव्य का नायक एक क्षत्रिय होता है।
- महाकाव्य में श्रृंगार, वीर या शांत कोई एक रस अंगी होता है व अन्य भी रस अंग रूप होते है।
- धर्म, काम, मोक्ष व अर्थ चतुर्वर्ग में से एक महाकाव्य का फल होता है।
- आरंभ में नमस्कार या आशीर्वाद होता है। कहीं खलों की निन्दा व सज्जनों का गुण कथन होता है।
- अंत में आगामी कथा की सूचना होनी चाहिए , जिसमें चंदा, सूर्य, रात्रि, वन, सागर, संयोग , मुनि, नगर , स्वर्ग , यात्रा व विवाह का वर्णन होना चाहिए।