महाकवि सूरदास 'अथवा' गोस्वामी तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित
बिन्दुओं के आधार पर लिखिए
। दो रचनाएँ
(ख) भावपक्ष (ग) कलापक्ष (घ) साहित्य में स्थान
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महाकवि सूरदास 'अथवा' गोस्वामी तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित
बिन्दुओं के आधार पर लिखिए । दो रचनाएँ (ख) भावपक्ष (ग) कलापक्ष (घ) साहित्य में स्थान
साहित्य में स्थान : सूरदास का जन्म 1540ई० में रुनकता नामक गाँव में हुआ। सूरदास जी अष्टछाप एवं भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि है | सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने गए हैं। सूर के वात्सल्य वर्णन में उनके विष्णु अवतार होने की झलके तो अवश्य मिलती है, तथापि ये वर्णन किसी भी माँ के अपने पुत्र के प्रति वात्सल्य का प्रतिनिधित्व करते है |
सूरदास के 'भम्ररगीत' में गोपियों एवं उध्दव के संवाद के माध्यम में प्रेम , विरह ज्ञान एवं भक्ति का जो अद्भुत भाव का बहुत अच्छे से वर्णन किया है|
यह ब्रज भाषा का कवि माने जाते है|
सूरदास की रचनाएँ:
सूरसागर
सुरसारावली
साहित्य-लहरी
नल- दमयन्ती
ब्याहलो
भावपक्ष
महाकवि सूरदास का 'सूरसागर' वास्तव में रस का महासागर है। इसमें भावों की विविधता और अनेक रूपता के बारे में वर्णन किया जाता है| विनय के पद, बालक कृष्ण से संबंधित पद, कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पद, कृष्ण और राधा के रति भाव संबंधी पद, मुरली संबंधी पद, औरवियोग श्रृंगार के भ्रमरगीत के पद।
कलापक्ष: कलापक्ष काव्य के अंतर्गत प्रमुखतः काव्य-शैली, भाषा, अलंकार आदि का समावेश होता है। यह ब्रज भाषा का कवि माने जाते है|