महाकवि सूरदास का साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए|
सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है।
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Explanation:
श्यामसुन्दर दास ने इस सम्बन्ध में लिखा है - "सूर वास्तव में जन्मांध नहीं थे, क्योंकि शृंगार तथा रंग-रुपादि का जो वर्णन उन्होंने किया है वैसा कोई जन्मान्ध नहीं कर सकता।" डॉक्टर हजारीप्रसाद द्विवेदी ने लिखा है - "सूरसागर के कुछ पदों से यह ध्वनि अवश्य निकलती है कि सूरदास अपने को जन्म का अंधा और कर्म का अभागा कहते हैं,
महाकवि सूरदास का साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए |
महाकवि सूरदास का साहित्य में बेहद ऊँचा स्थान है। वे भक्तिकाल की सगुण विचारधारा की कृष्णाश्रयी शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि रहे हैं। कृष्ण भक्ति के जितने भी कवि हुए हैं, उनमें सबसे ऊँचा स्थान सूरदास का है।
सूरदास को हिंदी साहित्य का सूर्य भी कहा जाता है, क्योंकि उनके पदों के माध्यम से कृष्ण भक्ति का जैसा वर्णन हुआ है, वैसा अद्भुत है। महाकवि सूरदास के बारे में कहा जाता है कि वह अंधे थे, उसके बावजूद उन्होंने इतने सुंदर पदों की रचना की। यही उनकी महानता और प्रतिभा को प्रकट करता है, उनके द्वारा रचित कृष्ण भक्ति के पद आज भी कानों में रस घोल देते हैं।
कृष्णभक्ति और उनके बालरूप का जितना सुंदर एवं मनोहारी चित्रण महाकवि सूरदास ने किया है, वैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। जिस तरह रामभक्ति के लिए तुलसीदास जाने जाते हैं, उसी तरह कृष्ण भक्ति के लिए सूरदास जाने जाते हैं।
कृष्ण भक्ति की परंपरा में सूरदास के बाद मीराबाई का ही स्थान है। सूरदास का स्थान सबसे ऊपर है, इसलिए हिंदी साहित्य में सूरदास का नाम महान कवियों की पंक्ति में शामिल होता है।
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