महिला आरक्षण विधेयक पर हर कोई अपने विचार व्यक्त कर रहा है। कोई इससे सहमत है तो कोई असहमत। लोकतंत्र में सबका अपना विचार हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि हम महिलाओं का विरोध करें। जातिगत आरक्षण जैसे सुधार तो आवश्यकता होने पर बाद में भी किए जा सकते हैं। हर बार विरोध करना घोर वैचारिक पिछडापन है। जो दल विभिन्न आधार सुझा रहे हैं, वे अपनी पार्टी में उसको लागू करने के लिए स्वतंत्र है। बार-बार विरोध करने से नीयत पर शक होना जरूरी है। हो हल्ला करके कई वर्षों से इस बिल को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं ने भी आज़ादी के लिए पुरुषों के साथ मिलकर संघर्ष किया था। क्या आजाद भारत में आज अपने अधिकारों के लिए उन्हें याचना करनी पड़ेगी? बेहतर होगा कि सभी दल इस दिशा में सहयोग करें और सर्वमान्य समाधान निकालें। .महिला आरक्षण के लिए आज की स्थिति में क्या करना चाहिए? (उचित कथन का चयन कीजिए) * 1 point (a) मिलकर विचार करें (b) जातिगत आरक्षण दें (c) सर्वमान्य समाधान निकाले (d) आरक्षण को कुछ वर्षों के लिए टाल दें।
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i dont know
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I too don't know byeeeee
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