“महिला गृहस्थी का आधार है' विषय पर अपने विचार लिखिए ।
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भारतीय महिलाएँ घर पर किसी पुरुष की मौजूदगी में अपने आपको सुरक्षित महसूस करती हैं। एक पुरुष बाहरी दुनिया और घर की महिलाओं के बीच दीवार का काम करता है। क्या हो, यदि यह दीवार ढह जाएँ तो? यही कहानी है स्टार प्लस पर 25 फरवरी से शुरू होने जा रहे नए धारावाहिक ‘गृहस्थी’ की।
भारतीय महिलाएँ घर पर किसी पुरुष की मौजूदगी में अपने आपको सुरक्षित महसूस करती हैं। एक पुरुष बाहरी दुनिया और घर की महिलाओं के बीच दीवार का काम करता है। क्या हो, यदि यह दीवार ढह जाएँ तो? यही कहानी है स्टार प्लस पर 25 फरवरी से शुरू होने जा रहे नए धारावाहिक ‘गृहस्थी’ की।खुराना परिवार में सात महिलाओं के बीच एकमात्र पुरुष बलराज खुराना हैं। अपने आपको उसकी छत्रछाया में सुरक्षित महसूस करने वाली महिलाएँ उस समय असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो जाती है जब वे बलराज नामक आधार स्तंभ को खो देती हैं।
भारतीय महिलाएँ घर पर किसी पुरुष की मौजूदगी में अपने आपको सुरक्षित महसूस करती हैं। एक पुरुष बाहरी दुनिया और घर की महिलाओं के बीच दीवार का काम करता है। क्या हो, यदि यह दीवार ढह जाएँ तो? यही कहानी है स्टार प्लस पर 25 फरवरी से शुरू होने जा रहे नए धारावाहिक ‘गृहस्थी’ की।खुराना परिवार में सात महिलाओं के बीच एकमात्र पुरुष बलराज खुराना हैं। अपने आपको उसकी छत्रछाया में सुरक्षित महसूस करने वाली महिलाएँ उस समय असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो जाती है जब वे बलराज नामक आधार स्तंभ को खो देती हैं।इनमें से कोई दादी है, कोई माँ हैं तो कोई बेटी हैं। जब जमाने से इनका सामना होता है तो इन्हें कदम-कदम पर कठिनाइयाँ महसूस होती हैं। उन्हें इसकी कभी आदत नहीं थी। पुरुष प्रधान समाज में वे अपना वजूद ढूँढती हैं। उनके इस संघर्ष को इस धारावाहिक में रेखांकित किया गया है।
भारतीय महिलाएँ घर पर किसी पुरुष की मौजूदगी में अपने आपको सुरक्षित महसूस करती हैं। एक पुरुष बाहरी दुनिया और घर की महिलाओं के बीच दीवार का काम करता है। क्या हो, यदि यह दीवार ढह जाएँ तो? यही कहानी है स्टार प्लस पर 25 फरवरी से शुरू होने जा रहे नए धारावाहिक ‘गृहस्थी’ की।खुराना परिवार में सात महिलाओं के बीच एकमात्र पुरुष बलराज खुराना हैं। अपने आपको उसकी छत्रछाया में सुरक्षित महसूस करने वाली महिलाएँ उस समय असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो जाती है जब वे बलराज नामक आधार स्तंभ को खो देती हैं।इनमें से कोई दादी है, कोई माँ हैं तो कोई बेटी हैं। जब जमाने से इनका सामना होता है तो इन्हें कदम-कदम पर कठिनाइयाँ महसूस होती हैं। उन्हें इसकी कभी आदत नहीं थी। पुरुष प्रधान समाज में वे अपना वजूद ढूँढती हैं। उनके इस संघर्ष को इस धारावाहिक में रेखांकित किया गया है।किरण कुमार और वैदेही अमृते जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ खुशबू, आरती सिंह और नेहा देसाई नामक नए चेहरे इसमें दिखाई देंगे