Sociology, asked by shivjithakurdadar, 6 hours ago

महिलाओं के आंदोलन के बारे में दो मुख्य कारक है​

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Answered by tejasvi10137
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Explanation:

जेंडर समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्‍यों और नीति निर्देशक सिद्धांतों में प्रतिपादित है। संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है अपितु राज्‍य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्‍मक भेदभाव के उपाय करने की शक्‍ति भी प्रदान करता है।

लोकतांत्रिक शासन व्‍यवस्‍था के ढांचे के अंतर्गत हमारे कानूनों, विकास संबंधी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में विभिन्‍न क्षेत्रों में महिलाओं की उन्‍नति को उद्देश्‍य बनाया गया है। पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-78) से महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति कल्‍याण की बजाय विकास का दृष्‍ठिकोण अपनाया जा रहा है। हाल के वर्षों में, महिलाओं की स्‍थिति को अभिनिश्‍चित करने में महिला सशक्‍तीकरण को प्रमुख मुद्दे के रूप में माना गया है। महिलाओं के अधिकारों एवं कानूनी हकों की रक्षा के लिए वर्ष 1990 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्‍ट्रीय महिला आयोग की स्‍थापना की गई। भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशेाधनों (1993) के माध्‍यम से महिलाओं के लिए पंचायतों और नगरपालिकाओं के स्‍थानीय निकायों में सीटों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है जो स्‍थानीय स्‍तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

1.3 भारत ने महिलाओं के समान अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध विभिन्‍न अंतरराष्‍ट्रीय अभिसमयों और मानवाधिकार लिखतों की भी पुष्टि की है। इनमें से एक प्रमुख वर्ष 1993 में महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव की समाप्‍ति पर अभिसमय (सीईडीएडब्‍ल्‍यू) की पुष्टि ह

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