महिलाओं के अधिकारों और जीवनशैली के बारे में ऐन फ्रैंक के विचारों की समीक्षा जीवन-मूल्यों के आधार पर कीजिए।
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ऐन स्त्री की दशा पर अपनी बेबाक राय व्यक्त करती है। वह स्त्रियों की स्थिति को बहुत अन्याय कहती है। उसका मानना है कि शारीरिक अक्षमता को बहाना बनाकर पुरुषों ने स्त्रियों को घर में बाँध कर रखा है। ऐन इसे बेवकूफी कहती है। वह कहती है कि प्रसव पीड़ा दुनिया की सबसे बड़ी तकलीफ है। इस तकलीफ को भी झेलकर स्त्री मनुष्य जाति को जीवित रखे हुए है। वह स्त्रियों के विरोध व असम्मान करने वाले मूल्यों व मनुष्यों की निंदा करना चाहती है।
वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है। वह स्त्री को भी सैनिक सम्मान की तरह सम्मानित करना चाहती है। उसके भीतर भविष्य को लेकर सपने हैं कि अगली सदी में स्थिति बदलेगी। बच्चे पैदा करने वाली स्थिति बदलकर औरतों को ज्यादा सम्मान व सराहना प्राप्त होगी। उसके ये विचार परिवर्तनकारी हैं। वह मानवाधिकारों के बारे में भी अपनी आवाज़ उठाती है। उसने वितीय विश्वयुद्ध के दौरान घटी घोर अमानवीय स्थितियों का कुशलतापूर्वक चित्रण किया है।
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महिलाओं के अधिकार, वह अधिकार है जो प्रत्येक महिला या बालिका का विश्वव्यापी समाजों में पहचाना हुआ जन्मसिद्ध अधिकार या हक है। १९वीं सदी में महिला हक संग्राम और २०वीं सदी में फेमिनिस्ट आंदोलन का यह आधार रहा है। कई देशों में यह हक कानूनी तौर पर, अंदरूनी समाज द्वारा या लोगों के व्यवहार में लागू होता है तो कई देशों में यह प्रचलित नहीं है। कई देशों में व्यापक तौर पर मानवाधिकार का दावा निहित इतिहासिक और परम्परागत झुकाव के नाम पर महिलाओं और बालिकाओ का हक पुरुषों और बालकों के पक्ष में दे दिया जाता है। महिलाओं के अधिकार के विषय मे कुछ हक अखंडता और स्वायत्तता शारीरिक करने की आजादी, यौन हिंसा से मुक्ति; मत देने की आजादी; सार्वजनिक पद धारण करने की आजादी; कानूनी कारोबार में प्रवेश करने की आजादी;पारिवारिक कानून में बराबर हक; काम करने की आजादी और समान वेतन की प्राप्ति; प्रजनन अधिकारों की स्वतंत्रता; शिक्षा प्राप्ति का अधिकार।