Hindi, asked by babitasiwach7, 3 months ago

महिलाओं के लिए घर से बाहर निकल कर काम करने की सुविधाओं के लिए क्या नियम बनाए सरकार ने ​

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Answered by kcsshweta
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जुर्म

महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है घरेलू हिंसा अधिनियम

आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. इन मामलों में महिलाओं के प्रति हिंसा देखने को मिलती है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है घरेलू हिंसा कानून.

इस अधिनियम से महिलाओं को सुरक्षा मिलती है

इस अधिनियम से महिलाओं को सुरक्षा मिलती है

परवेज़ सागर

परवेज़ सागर

नई दिल्ली,

20 जनवरी 2016,

(अपडेटेड 21 जनवरी 2016, 10:11 AM IST)

आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. इन मामलों में महिलाओं के प्रति हिंसा देखने को मिलती है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है घरेलू हिंसा कानून.

क्या होती है घरेलू हिंसा

किसी भी महिला के साथ घर की चारदिवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा, मारपीट, उत्पीड़न आदि के मामले इसी कानून के तहत आते हैं. यौन उत्पीड़न के मामलों में अलग कानून है लेकिन उसे इसके साथ जोड़ा जा सकता है. महिला को ताने देना, गाली देना, उसका अपमान करना, उसकी मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना, जबरन शादी के लिए बाध्य करना आदि जैसे मामले भी घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं. पत्नी को नौकरी छोडऩे के लिए मजबूर करना, या फिर नौकरी करने से रोकना, दहेज की मांग के लिए मारपीट करना आदि भी इसके तहत आ सकते हैं.

क्या है घरेलू हिंसा अधिनियम

घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 में किया गया और 26 अक्टूबर 2006 से इसे देश में लागू किया गया. इसका मकसद घरेलू रिश्तों में हिंसा झेल रहीं महिलाओं को तत्काल और आपातकालीन राहत पहुंचाना है. यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है. केवल भारत में ही लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में इसकी शिकार हैं. यह भारत में पहला ऐसा कानून है जो महिलाओं को अपने घर में रहने का अधिकार देता है. घरेलू हिंसा विरोधी कानून के तहत पत्नी या फिर बिना विवाह किसी पुरुष के साथ रह रही महिला मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की परिस्थिति में कार्रवाई कर सकती है.

केंद्र और राज्य सरकार है जवाबदेह

यह कानून घरेलू हिंसा को रोकने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार को जवाबदेह और जिम्मेदार ठहराता है. इस कानून के अनुसार महिला के साथ हुई घरेलू हिंसा के साक्ष्य प्रमाणित किया जाना जरूरी नहीं हैं. महिला के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को ही आधार माना जाएगा क्योंकि अदालत का मानना है कि घर के अन्दर हिंसा के साक्ष्य मिलना मुश्किल होता है.

महिला को मिलती है मदद

घरेलू हिंसा से पीडि़त कोई भी महिला अदालत में जज के समक्ष स्वयं या वकील, सेवा प्रदान करने वाली संस्था या संरक्षण अधिकारी की मदद से अपनी सुरक्षा के लिए बचावकारी आदेश ले सकती है. पीड़ित महिला के अलावा कोई भी पड़ोसी, परिवार का सदस्य, संस्थाएं या फिर खुद महिला की सहमति से अपने क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत दर्ज कराकर बचावकारी आदेश हासिल कर सकती हैं. इस कानून का उल्लंघन होने की स्थिति में जेल के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है

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