महिलाओं के प्रति भेदभाव मिटाने के तरीके समझाइए।
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उत्तर:महिलाओं के प्रति भेदभाव को रोकने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ 1979 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक संधि पारित हुई.महिलाओं के प्रति हर प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर संधि' का नाम दिया गया जिसे महिलाओं का 'बिल ऑफ़ राइट्स' भी कहा जाता है. इस संधि पर 180 से ज़्यादा देश अपनी मुहर लगा चुके हैं जिसके तहत सदस्य देशों पर मानवाधिकारों का सम्मान, संरक्षण और संबंधित दायित्व पूर्ण करने की क़ानूनी बाध्यता है.
व्याख्या:किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक या यौन शोषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिसके साथ महिला के पारिवारिक संबंध हैं, घरेलू हिंसा में शामिल है। घरेलू हिंसा पर तभी रोक लगाई जा सकती है, जब अन्याय का शिकार होती महिलाओं को शीघ्र न्याय मिले।जो नारियां घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं, उन्हें स्वावलंबी बनाया जाए। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिससे वे किसी भी घरेलू हिंसा का मुकाबला कर सकेंगी। शिक्षित, स्वावलंबी नारी ही समाज को शक्तिशाली बना सकती है। घरेलू हिंसा के कानूनों को कड़ा बनाना चाहिए। जब लड़की अपने पैरों पर खड़ी होने लायक हो, तभी उसका विवाह किया जाना चाहिए।महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव ज़्यादातर कम साक्षरता दर वाले राज्यों में अधिक देखने को मिलते हैं। जिन राज्यों में साक्षरता दर अधिक है वहां भेदभाव और हिंसा के मामले कम दर्ज हुए हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण केरल और लक्षद्वीप है जहां महिलाओं की बेहतर सामाजिक और आर्थिक स्थिति के पीछे प्रमुख कारक साक्षरता है। हमें ध्यान देना होगा की एक ही परिवार में पल रहे बेटो व बेटियों को समानतापूर्ण तरीके से पला पोसा जाये. दोनों को एक ही समय पर एक ही तरह का भोजन दिया जाये, दोनों के पढाई पर एक ही तरह के प्रयास किये जाये. दोनों को एक ही तरह से प्यार व ममता दी जाये.
व्याख्या:किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक या यौन शोषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिसके साथ महिला के पारिवारिक संबंध हैं, घरेलू हिंसा में शामिल है। घरेलू हिंसा पर तभी रोक लगाई जा सकती है, जब अन्याय का शिकार होती महिलाओं को शीघ्र न्याय मिले।जो नारियां घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं, उन्हें स्वावलंबी बनाया जाए। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिससे वे किसी भी घरेलू हिंसा का मुकाबला कर सकेंगी। शिक्षित, स्वावलंबी नारी ही समाज को शक्तिशाली बना सकती है। घरेलू हिंसा के कानूनों को कड़ा बनाना चाहिए। जब लड़की अपने पैरों पर खड़ी होने लायक हो, तभी उसका विवाह किया जाना चाहिए।महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव ज़्यादातर कम साक्षरता दर वाले राज्यों में अधिक देखने को मिलते हैं। जिन राज्यों में साक्षरता दर अधिक है वहां भेदभाव और हिंसा के मामले कम दर्ज हुए हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण केरल और लक्षद्वीप है जहां महिलाओं की बेहतर सामाजिक और आर्थिक स्थिति के पीछे प्रमुख कारक साक्षरता है। हमें ध्यान देना होगा की एक ही परिवार में पल रहे बेटो व बेटियों को समानतापूर्ण तरीके से पला पोसा जाये. दोनों को एक ही समय पर एक ही तरह का भोजन दिया जाये, दोनों के पढाई पर एक ही तरह के प्रयास किये जाये. दोनों को एक ही तरह से प्यार व ममता दी जाये.
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