Hindi, asked by dpanday590, 2 months ago

महिलाओं ने अपने उत्थान में खुद को कैसे शामिल किया​

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Answered by sankalpj65
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Explanation:

हर वर्ष 8 मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। हमारे देश की महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर अपनी ताकत का अहसास करवा रही है। भारत में रहने वाली महिलाओं के लिए इस वर्ष का महिला दिवस कई नई सौगातें लेकर आया है। महिलाओं के लिए अच्छी खबर यह है कि इस बार संसद में महिला सांसदो की संख्या बढ़कर 78 हो गई है, जो अब तक की सबसे ज्यादा हैं। कुछ दिनो पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने भी महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया है। अब सेना में भी महिलाएं पुरूषों के समान पदों पर काम कर पाएंगी। इससे महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा।

Answered by hiteshrane28
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महिलाओं के उत्थान के बगैर समाज का विकास असंभव : कुशवाहा

हैदरनगर | पंचायतीराज व्यवस्था के तहत महिलाओं को मिली आरक्षण सुविधा से उनके बढ़े सम्मान को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्साह से लबरेज पाया गया। उनका है कि इस प्रखंड में पंचायती राज के तहत आरक्षण मिलने से साक्षर से ग्रेजुएट तक की महिलाओं को मुखिया अन्य पंचायत प्रतिनिधि बनने का मौका मिला है। इससे उनका सम्मान बढ़ा है। राजनीति में महिलाओं के प्रवेश का द्वार खुल गया है। अब तक ग्रामीण स्तर पर छुपी राजनीतिक प्रतिभा को घर की देहरी से बाहर निकलने का मौका मिला है। हम पंचायत प्रतिनिधि महिला सशक्तिकरण का मिसाल बन गई है। प्रभारी प्रखंड प्रमुख पद को सुशोभित कर रही गीता देवी ने कहा कि उनके पंचायती राज व्यवस्था की बागडोर संभालने से क्षेत्र में महिलाओं की प्रताड़ना शोषण का अंत हो गया है। इससे पीड़ित महिलाएं अब शायद ही कभी शिकायत लेकर सामने आई है। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम सभी महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने का संकल्प लेती है। उधर, भले ही पतियों के सामाजिक-राजनीतिक कार्यों के कारण सड़ेया पंचायत की साक्षर किसमतिया देवी पश्चिमी पंचायत की ग्रेजुएट राफिया गजाला समेत अन्य शिक्षित महिला राजकुमारी देवी, नाजमा खातून, नीरा देवी अन्य महिलाएं मुखिया, पंसस, जिला पार्षद वार्ड सदस्य बनी है, मगर इन पदों को संभाल कर इन महिलाओं ने हर क्षेत्र में पंचायत के विकास को मंजिल की राह पर ला खड़ा किया है। जिला परिषद से प्रखंड पंचायत स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों में इनकी भागीदारी उपस्थिति ने महिलाओं को सामाजिक-राजनीतिक कद को बढ़ाया है। पर पंचायती राज व्यवस्था के तहत पूर्ण विभागीय अधिकार का अब तक नहीं मिलना अफसोस जनक स्थिति है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमारी मांग होगी कि सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत आरक्षण देकर महिलाओं को जो सम्मान दिया है, उसे स्थापित करने पंचायत प्रतिनिधि के कर्तव्य को पूरा करने के लिए पंचायती राज को पूर्ण अधिकार दिया जाय। ताकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता सही साबित हो सके। इन महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने इस मौके पर समाज के हर तबका हर वर्ग की महिलाओं को शिक्षित बनने, संघर्ष करने आगे बढ़ने का आह्वान किया है।

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