महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए और समाधान का एक सुझाव भी दीजिए
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Answer:
bohot bada patr likha ja sakta had...
Explanation:
महिलाओं की स्थिति की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने विभिन्न राज्योंं का दौरा किया और महिलाओं के प्रति अपराध की गंभीर घटनाओं के कतिपय मामलों की स्वयं भी जांच पड़ताल करता रहा है। आयोग, जाचं के अपने निष्कर्षों को संबंधित राज्य सरकारों के साथ-साथ इस मंत्रालय को भी बताता रहता है। इन विशिष्ट घटनाओं में आयोग द्वारा की गई जांच रिपोर्टों से पता चलता है कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों को जिस गंभीरता और सावधानी के साथ निपटाया जाना चाहिए वे अपेक्षित स्तर के नहीं हैं। आयोग ने कुछ विशिष्ट मामलों में कतिपय पुलिस पदाधिकारियों की ढील और संवदेनहीनता की ओर इशारा किया है। आयोग ने पाया कि जघन्य अपराधों में प्राथमिकी दर्ज करना अभी भी समस्या है। महिलाओं के प्रति अपराध की मुख्य घटनाओं में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा की गई जांच-पड़ताल की इसकी विभिन्न रिपोर्टों में की गई कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां और सिफारिशें अनुलग्नक में दी गई हैं।
भारत सरकार इस प्रवृत्ति और मूल स्थिति से अत्यं़त चिंतित है और इसलिए फिर जोर दे कर कहती है कि निम्नलिखित पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए:-
महिला विद्यार्थियों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों/कालेजों में व्यतिक्रम पर नजर रखने के लिए अपराध संभावित क्षेत्रों का पता लगाया जाना चाहिए और एक तंत्र बनाया जाना चाहिए। पुलिस अवसंरचना से पूरी तरह सज्जित पर्याप्त मात्रा में महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती ऐसे क्षेत्रों में की जानी चाहिए।
महिलाओं के प्रति अपराध के सभी मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने में किसी भी तरह का विलम्ब नहीं होना चाहिए।
प्राथमिकी में नामित सभी अभियुक्तों को पकड़ने के पूरे प्रयास किए जाने चाहिए ताकि पीड़ितों और उनके परिवार के सदस्यों में विश्वास पैदा किया जा सके।
मामलों की पूरी जांच-पड़ताल की जानी चाहिए और जांच-पड़ताल की गुणवत्ता के साथ समझौता किए बगैर घटना घटित होने की तारीख से तीन माह के अंदर अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किए जाने चाहिए। बलात्कार के पीड़ितों की अविलंब चिकित्सा जांच की जानी चाहिए।
महिलाओं के प्रति अपराध प्रकोष्ठों के हेल्प-लाइन नम्बरों को बड़े-बड़े अंकों में अस्पतालों/स्कूलों/कालेजों के परिसरों और अन्य उपयुक्त स्थानों पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
पुलिस स्टेशनों में महिला पुलिस प्रकोष्ठ और पृथक रूप से महिला पुलिस स्टेशन, आवश्यकतानुसार स्थापित किए जाने चाहिए।
जिन पुलिस पदाधिकारियों को महिलाओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है उन्हें पर्याप्त रूप से सुग्राही बनाया जाना चाहिए।
महिलाओं के प्रति अत्याचार से संबंधित मामलों पर कार्रवाई करने वाले पुलिस कार्मिकों को विशेष कानूनों में पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। प्रवर्तन पहलू पर पर्याप्त रूप से जोर दिया जाना चाहिए ताकि इसे सुचारु बनाया जा सके।
राज्य पुलिस बल में व्यापक रूप से महिला पुलिस पदाधिकारियों की भर्ती की जानी चाहिए।
महिलाओं के हित संबंधी कार्य करने वाली पुलिस और एनजीओ के बीच निकट समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
स्थानीय पुलिस को प्रभावित क्षेत्र और विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के स्थानीय क्षेत्रों में गश्त लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए। डीएम और एसपी के आवधिक दौरों से इन वर्गों के लोगों में रक्षा और सुरक्षा की भावना उत्पन्न होगी।
अपराध के सदमे से उबरने के लिए पीड़ितों के साथ-साथ उनके परिवार को पेशेवर परामर्शदाताओं के माध्यम से परामर्श दिए जाने की जरुरत है।
जो महिलाएं पीड़ित हैं उनके कल्याण और पुनर्वास के लिए विकसित योजनाओं की कारगरता में सुधार किए जाने की जरुरत है।
अनुरोध है कि राज्या सरकारों और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा इस संबंध में की गई कार्रवाई की समीक्षा की जाए और एक माह के अंदर वर्तमान स्थिति दर्शाने वाली रिपोर्ट इस मंत्रालय को भेजी जाए।