महिलाओं से संबंधित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के कार्यान्वयन के समक्ष प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें।
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पृष्ठभूमि: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (डीपीएसपी) की अवधारणा का स्रोत स्पेनिश संविधान है जहाँ से यह आयरिश संविधान में आया था।
DPSP की अवधारणा आयरिश संविधान के अनुच्छेद 45 से आई है।
संवैधानिक प्रावधान: भारत के संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) शामिल हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 37 निदेशक सिद्धांतों के कार्यों के बारे में अवगत करता है।
इन सिद्धांतों का उद्देश्य लोगों के लिये सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना और भारत को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना है।
मौलिक अधिकार बनाम DPSP:
मौलिक अधिकारों (FRs) के विपरीत DPSP का दायरा असीम है और यह एक नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है और वृहद स्तर पर कार्य करता है।
DPSP में वे सभी आदर्श शामिल हैं जिनका पालन राज्य को देश के लिये नीतियाँ और कानून बनाते समय ध्यान में रखना चाहिये।
मौलिक अधिकार प्रकृति में नकारात्मक या निषेधात्मक हैं क्योंकि वे राज्य पर सीमाएँ आरोपित करते हैं।
दूसरी ओर निदेशक सिद्धांत सकारात्मक निर्देश हैं, DPSP कानून द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि DPSP और मौलिक अधिकार साथ-साथ चलते हैं।
DPSP मौलिक अधिकार के अधीनस्थ नहीं है।
सिद्धांतों का वर्गीकरण: निदेशक सिद्धांतों को उनके वैचारिक स्रोत और उद्देश्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। ये निर्देश निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत हैं:
समाजवादी सिद्धांत
गांधीवादी सिद्धांत
उदार और बौद्धिक सिद्धांत
समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित निर्देश:
अनुच्छेद 38: राज्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित कर आय, स्थिति, सुविधाओं तथा अवसरों में असमानताओं को कम करके सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित एवं संरक्षित कर लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 39: राज्य विशेष रूप से निम्नलिखित नीतियों को सुरक्षित करने की दिशा में कार्य करेगा:
सभी नागरिकों को आजीविका के पर्याप्त साधन का अधिकार।
भौतिक संसाधनों के स्वामित्व और नियंत्रण को सामान्य जन की भलाई के लिये व्यवस्थित करना।
कुछ ही व्यक्तियों के पास धन को संकेंद्रित होने से बचाना।
पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान कार्य के लिये समान वेतन।
श्रमिकों की शक्ति और स्वास्थ्य की सुरक्षा।
बच्चों के बचपन एवं युवाओं का शोषण न होने देना ।
अनुच्छेद 41: बेरोज़गारी, बुढ़ापा, बीमारी और विकलांगता के मामलों में कार्य करने, शिक्षा पाने और सार्वजनिक सहायता पाने का अधिकार सुरक्षित करना।
अनुच्छेद 42: राज्य काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों को सुनिश्चित करने एवं मातृत्व राहत के लिये प्रावधान करेगा।
अनुच्छेद 43: राज्य सभी कामगारों के लिये निर्वाह योग्य मज़दूरी और एक उचित जीवन स्तर सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 43A: उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये राज्य कदम उठाएगा।
अनुच्छेद 47: लोगों के पोषण स्तर और जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना।
गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित निर्देश:
अनुच्छेद 40: राज्य ग्राम पंचायतों को स्वशासन की इकाइयों के रूप में संगठित करने के लिये कदम उठाएगा।
अनुच्छेद 43: राज्य ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत या सहकारी आधार पर कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 43B: सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कामकाज, लोकतांत्रिक नियंत्रण और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देना।
अनुच्छेद 46: राज्य समाज के कमज़ोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य कमज़ोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा।
अनुच्छेद 47: राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिये कदम उठाएगा और नशीले पेय तथा स्वास्थ्य के लिये हानिकारक नशीले पदार्थों के सेवन पर रोक लगाएगा।
अनुच्छेद 48: गायों, बछड़ों और अन्य दुधारू पशुओं के वध पर रोक लगाने तथा मवेशियों को पालने एवं उनकी नस्लों में सुधार करने के लिये।
उदार-बौद्धिक सिद्धांतों पर आधारित निर्देश:
अनुच्छेद 44: भारत के राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करना।
अनुच्छेद 45: सभी बच्चों को छह वर्ष की आयु पूरी करने तक प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा प्रदान करना।
अनुच्छेद 48: कृषि और पशुपालन को आधुनिक एवं वैज्ञानिक आधार पर संगठित करना।
अनुच्छेद 48A: पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना तथा देश के वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करना।
अनुच्छेद 49: राज्य की कलात्मक या ऐतिहासिक महत्त्व के प्रत्येक स्मारक या स्थान की रक्षा करना।
अनुच्छेद 50: राज्य की लोक सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिये कदम उठाना।
अनुच्छेद 51: यह घोषणा करता है कि राज्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करने का प्रयास करेगा:
राष्ट्रों के साथ न्यायपूर्ण और सम्मानजनक संबंध बनाए रखना।
अंतर्राष्ट्रीय कानून और संधि दायित्वों के लिये सम्मान को बढ़ावा देना।
मध्यस्थता द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विवादों के निपटारे को प्रोत्साहित करना।