महामारी की चपेट मे आए पर्वासी मजदूरों की दयनीय दशा का सचित्र वर्णन करते हुए एक परियोजना कार्या तैयार करे।
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Answer: हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे राज्यों से आने वाले इन लोगों को सरकार कहां रखेगी और उन्हें घर भेजने की प्रक्रिया क्या होगी?
जिस तादाद में मज़दूर अपने राज्यों में लौटे हैं क्या वहां उन्हें क्वारंटीन करने और उनकी खाने पीने की सुविधाएं हैं? और फिलहाल किस राज्य के कितने लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं?
एक नज़र राज्यों की स्थिति पर...
प्रवासियों को एक साथ नहीं बुला रही ममता सरकार
पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सो में फंसे तमाम छात्रों, पर्यटकों और प्रवासी मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस ले आया जाएगा l इसी क्रम में बीते सप्ताह कोटा में फंसे राज्य के लगभग ढाई हजार छात्रों को बसों से ले आया गया है. अब अजमेर और केरल के त्रिवेंद्रम से दो ट्रेनों में लगभग ढाई हज़ार तीर्थयात्री, पर्यटक और प्रवासी मजदूर अगले दो दिनों में यहां पहुंचेंगे.
कोलकाता में बीबीसी के सहयोगी प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि यह ट्रेनें सोमवार को ही रवाना हो गई हैं. बंगाल आने वाली यह पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेनें हैं. ममता बनर्जी खुद इस मामले की निगरानी कर रही हैं. उन्होंने ही ट्वीट में इसका ऐलान किया था. इससे पहले कोटा से पहुंचे छात्रों को उनके संबंधित जिलों में पहुंचा दिया गया है. तमाम छात्रों को स्वास्थ्य जांच के बाद घर जाकर 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहने को कहा गया है. इससे पहले ममता ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरें को स्नेह परस यानी स्नेह का स्पर्श शीर्षक योजना के तहत एक-एक हज़ार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था. यह रकम सीधे उनके बैंक खातों में या फिर स्थानीय संपर्कों के जरिए नकद दी जा रही है. उन्होंने लॉकडाउन के चलते राज्य के बेरोज़गार मज़दूरों के लिए भी इतनी ही रकम देने का ऐलान किया है.
लेकिन सवाल है कि कोरोना मरीजों की जांच और कोरोना अस्पतालों और क्वारंटीन केंद्रों की हालत पर पहले ही तमाम विवादों से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस सरकार क्या इतनी बड़ी तादाद में प्रवासियों के लौटने पर पैदा होने वाली संभावित समस्याओं से निपटने के लिए तैयार है?
राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा कहते हैं, "हमने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. देश के बाकी हिस्सों में फंसे लोगों को चरणबद्ध तरीके से बुलाया जाएगा. लेकिन अगर उनमें से किसी व्यक्ति का घर कंटेनमेंट ज़ोन में हुआ तो उसे सीधे घर जाने की अनुमति देने की बजाय वैकल्पिक जगहों पर रखा जाएगा. इस आधारभूत ढांचे को तैयार करने में तोड़ समय लग सकता है.
मुख्य सचिव बताते हैं कि एक साथ लाखों प्रवासी मजदूरों को बुलाना उचित नहीं होगा. इसके लिए विस्तृत योजना जरूरी है. ऐसा नहीं किया गया तो अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
इस बीच, राज्य सरकार पर कर्नाटक में फंसे मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने के प्रस्ताव पर चुप्पी साधने के भी आरोप लग रहे हैं. लेकिन राज्य सकार के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "हमने कर्नाटक से आने वाले मजदूरों को मना नहीं किया है. बीते दो दिनों से कई राज्य सरकारों के साथ बातचीत चल रही है. हमने कर्नाटक सरकार के प्रवासियों की यात्रा कुछ दिनों के लिए टालने का अनुरोध किया है ताकि उनके लिए जरूरी आधारभूत ढांचा स्थापित किया जा सके.
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