महामारी रोग विज्ञान की प्रविधियों की व्याख्या कीजिए
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महामारी विज्ञान (Epidemiology) सामान्य धारणानुसार महामारी विज्ञान का संबंध मानवरोगों के प्रकोप में सहसा वृद्धि के विभिन्न कारणों से है। महामारी की दशा में रोग की आपतन संख्या, व्यापकता और प्रसारक्षेत्र में आकस्मिक वृद्धि हो जाती है। यह शब्द प्राय: संक्रामक और घातक रोगों की वृद्धि से उत्पन्न आपतकाल का द्योतक रहा है, परंतु गत वर्षो में इस विज्ञान का क्षेत्र अधिक व्यापक हो गया है और प्राचीन धारणा में भी महत्वपूर्ण अंतर हो गया है। अब यह शास्त्र केवल अकस्मात् प्रकुप्त महामारी के सिद्धांत का ही विवेचन नहीं करता है, वरन् साधारण तथा महामारी दोनों ही स्थितियों में किसी भी रोग या विकार के जनता पर होनवाले सामूहिक प्रभाव से संबंधित है। इस विज्ञान के लिये यह भी आवश्यक नहीं है कि रोग परजीवी जीवाणुजन्य संक्रामक हो। जनता में व्याप्त असंक्रामक रोगों और शरीर की अवस्थाविशेष का विवेचन इस विज्ञान की सीमा के बाहर नहीं है। चिकित्सा क्षेत्र के अंतर्गत किसी संक्रामक व्यापार, कायिक (organic) अथवा क्रियागत विकार अथवा रोग की जनता में आवृति तथा वितरण निर्धारित करनेवाले विभिन्न कारणों और दशाओं के परस्पर संबंध का ज्ञान महामारी विज्ञान कहा जाता है। विकृति विज्ञान (pathology) व्यक्ति के शरीर के अंग प्रत्यंगों में रोगजन्य विकार का परिचायक है और महामारी विज्ञान जन समुदाय में समष्टिगत रोग विधान का बोधक।