महान संस्कृत विद्वानों के बारे में संस्कृत में निबंध लेखन उनके जीवन और कार्यक्षेत्र के साथ-साथ प्राचीन भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी
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गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवnत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है।
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संस्कृत के विद्वान
भारते अनेके विद्वांस: माघ:, कालिदास:, भास:, बाणभट्ट:, दण्डी, विशाखदत्त: प्रभृत्य: अभवन्।
कविषु कालिदास: श्रेष्ठ:। कालिदास: मेघदूतम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, रघुवंशम्, कुमारसंभवम्, च रचितवान्।
साहित्याकाशे कविकुल गुरु कालिदास: देदीप्यमान नक्षत्रवत् अस्ति। अस्य काव्ये यद्यपि अलंकाराणां प्रयोग: दृश्यते परं च उपमालंकारे अस्य वैशिष्ट्यमस्ति। उपमा कालिदासस्य इति अस्य महाकवे: विषये विश्वविश्रुता उक्ति:।
तेषु द्वे महाकाव्ये रघुवंशम्, कुमारसंभवम,च रचितवान्। महाकवि कालिदासस्य त्रीणि नाटकानि च मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् रचितवान्।
महाकवि माघ: संस्कृतसाहित्यस्य प्रतिष्ठितकवि: आसीत्। संस्कृतस्य श्रेष्ठकविषु महाकविमाघस्य अभिधानम् विख्यातमस्ति। माघमास्य माता ब्राह्मणी आसीत्। माघस्य पत्नी माल्हणा आसीत्। महाकवि माघ: पद लालित्याय प्रसिद्ध: आसीत्। तस्य महाकाव्य: शिशुपालवधम् अस्ति।
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