Hindi, asked by ankit14405, 1 year ago

महानगरी भीड़ भाड़ और मेट्रो पर निबंध​

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Answered by bhatiamona
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महानगर की भीड़-भाड़ और मेट्रो

भीड़-भाड़ किसी भी महानगर की पहचान होती है। महानगर में भीड़-भाड़ होती है, तभी वह महानगर कहलाता है। इसी भीड़-भाड़ में आवागमन के अनेक साधन होते हैं, और आवागमन के जो भी आधुनिक साधन अविष्कृत होते हैं, वह सबसे पहले महानगरों में ही प्रचलित होते हैं।

आज के युग में मेट्रो आवागमन के सबसे सुलभ और आधुनिक साधनों में सबसे प्रमुख साधन है। यह अनेक देशों में एक अत्यंत लोकप्रिय सार्वजनिक प्रणाली है। महानगर के कोलाहल वाले वातावरण और भागमभाग वाली व्यस्त जीवनशैली में मेट्रो में सुकून के दो पल मिल ही जाते हैं। हालांकि सुबह और शाम मेट्रो में भी अत्याधिक भीड़ मन को परेशान कर देती है, लेकिन बाकी समय में मेट्रो में सफर करना एक आनंददायक अनुभव से कम नहीं होता।

मेट्रो का अनुशासन, साफ-सफाई, तकनीकी कौशल, समय की पाबंदी और मेट्रो की आकर्षक साज-सज्जा ये सब बातें मन को मोह लेती हैं और इन सब कारणों से मेट्रो में सफर करना एक आनंददायक अनुभव बन जाता है। जहां-जहां, जिस-जिस शहर में भी मेट्रो ट्रेन चलने लगी है, वहाँ मेट्रो ट्रेन ने शीघ्र ही बेहद कम समय में अपनी लोकप्रियता अर्जित कर ली है। इसलिए मेट्रो में यात्रा करना एक अनुभव है और यह महानगर की भीड़-भाड़ से दूर सुकून के चार पल दे जाता है।

मेट्रो में यात्रा का अनुभव करके ऐसा महसूस होता है जैसे हम किसी यूरोपीय देश में बैठे हैं। जितने अत्याधुनिक साधन और तकनीक का प्रयोग मेट्रों  ट्रेन में किया जाता है, वैसा शायद देश में अब किसी सार्वजनिक वाहन या सार्वजनिक क्षेत्र में किया जाता हो। इसलिए मेट्रो देश में उस शहर की पहचान है,  गौरव हैं,  जहां पर मेट्रो चलती है।

Answered by aakankshachoudhary20
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Answer:

महानगर दिल्ली-बेलगाम बढ़ती जनसंख्या-वाहनों की बेतहाशा वृद्धि-प्रदूषण- सड़क दुर्घटनाओं के अनियंत्रित आँकड़े और न जाने क्या कुछ। कुछ भी कह लिजिए, दिल्ली में तबाही के हर नजारे मिलेंगे। सरकार की कोशिशें अपनी जगह, तबाहियों का आलम अपनी जगह। सबसे बड़ी समस्या जो दिल्ली महानगर की है वह ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाएँ।

Metro rail essay in Hindiअभी तक इस शहर में सड़कों की कुल लम्बाई बारह सौ अड़तालिस किलोमीटर है यानि शहर के कुल जमीन में से इक्कीस प्रतिशत भाग पर सड़कें फैली हैं। फिर भी मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति सीमा पन्द्रह किलोमीटर प्रति घण्टा ही आँकी गई है। इसका कारण है यहाँ वाहनों की संख्या। वर्तमान जानकारी के अनुसार दिल्ली में लगभग 35 लाख वाहन हैं जो हर वर्ष दस प्रतिशत की रफतार से बढ़ रहे हैं। इन कुल वाहनों में 90 प्रतिशत निजी हैं। निजी वाहनों का प्रयोग यहाँ के लोगों की मजबूरी है क्योंकि नगर सेवा के लिए जो परिवहन सुविधा उपलब्ध है वह पर्याप्त नहीं है।

मेट्रो रेल आधुनिक जनपरिवहन प्रणाली है जो शायद भविष्य में दिल्ली को इस भीषण समस्या से निपटने में मदद दे सके। मेट्रो रेल इन्हीं परेशानियों से निजात पाने का एक सकारात्मक कदम है । जापान, कोरिया, हांगकांग, सिंगापुर, जर्मनी एवं फ्रांस की तर्ज पर दिल्ली में इसे अपनाया गया।

मेट्रो रेल की योजना विभिन्न चरणों से सम्पन्न होगी। कई चरण तो पूरे हो भी गये हैं ओर सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। इसकी व्यवस्था अत्याधुनिक तकनीक से संचालित होती है। इसके कोच वातानुकूलित हैं। टिकट प्रणाली भी स्वचालित है। ट्रेन की क्षमता के अनुसार ही टिकट उपलब्ध होता है। स्टेशनों पर एस्केलेटर की सुविधा उपलब्ध है। मेट्रो लाइन को बस रूट के सामानान्तर ही बनाय गया है जिससे यात्रियों को मेट्रो से उतरने के बाद कोई दूसरा साधन प्राप्त करने में कठिनाई न हो।

मेट्रो योजना का प्रथम चरण शाहदरा से तीस हजारी, दूसरा चरण दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी नगर ( 8.6 कि.मी.), केन्द्रीय सचिवालय, बसन्त कुंज (18.2 कि.मी.) और बाराखम्भा रोड-इन्द्रप्रस्थ-नोएडा (15.3 कि.मी.) परियोजना अनुमोदित है। वर्ष 2010 तक इसे पूरा करने की योजना है। इनमें कई यानि शाहदरा से तीस हजारी, तीस हजारी से त्री नगर और दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर लाईनों पर परिचालन शुरू हो चुका है। आगे की लाईनों पर काम जोरों से चल रहा है। जल्द ही मेट्रो रेल गाज़ियाबाद के कौशाम्बी से इंदिरापुरम हो कर ग़ाज़ियाबाद शहर तक जा पहुंचेगी.

मेट्रो रेल के दरवाजे स्वचालित हैं। हर आने वाले स्टेशनों की जानकारी दी जाती रहती है। वातानुकूलित डब्बों में धूल-मिट्टी से बचकर लोग सुरक्षित यात्रा कर रहे हैं।

ट्रैफिक जाम का कोई चक्कर नहीं। यात्रा में लगने वाला समय कम हो गया है। हर सूचना स्क्रीन पर प्रदर्शित होती रहती है। किराया भी लगभग नगर बसों जैसा है। भूमिगत लाईनों पर भी परिचालन प्रारम्भ हो चुका है। कोरिया से आयातित मेट्रो रेलों का संचालन प्रशिक्षित कर्मचारी करते हैं। कुल मिलाकर दिल्ली के लिए एक नायाब तोहफा है दिल्ली मेट्रो रेल।

दिल्ली की समस्याओं के संदर्भ और दिल्ली मेट्रो रेल की सम्भावनाओं के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि निस्संदेह यह यहाँ के जीवन को काफी सहज कर देगी। यहाँ की यातायात प्रणाली के लिए एक वरदान साबित होगी

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