महानगर की और पलायन की समस्या विषय पर फीचर लिखिए ॽ *
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▪︎महानगर सपनों की तरह है मनुष्य को ऐसा लगता है मानो स्वर्ग वही है। हर व्यक्ति ऐसे स्वर्ग की ओर खींचा चला आता है। चमक-दमक, आकाश छूती इमारतें, सब कुछ पा लेने की चाह, मनोरंजन आदि न जाने बहुत कुछ जिन्हें पाने के लिए गाँव का सुदामा’लालायित हो उठता है और चल पढ़ता है महानगर की ओर। आज महानगरों में भीड़ बढ़ रही है। हर ट्रेन, बस में आप यह देख सकते हैं। गाँव यहाँ तक कि कस्बे का व्यक्ति भी अपनी दरिद्रता को समाप्त करने के ख्वाब लिए महानगरों की तरफ चल पड़ता है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद रोजगार के अधिकांश अवसर महानगरों में ही मिलते हैं। इस कारण गाँव व कस्बे से शिक्षित व्यक्ति शहरों की तरफ भाग रहा है। इस भाग-दौड़ में वह अपनों का साथ भी छोड़ने को तैयार हो जाता है। दूसरे, अच्छी चिकित्सा सुविधा, परिवहन के साधन, मनोरंजन के अनेक तरीके, बिजली-पानी की कमी न होना आदि अनेक आकर्षक महानगर की ओर पलायन को बढ़ा रहे हैं। महानगरों की व्यवस्था भी चरमराने लगी है। यहाँ के साधन भी भीड़ के सामने बौने हो जाते हैं। महानगरों का जीवन एक ओर आकर्षित करता है तो दूसरी ओर यह अभिशाप से कम नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह विकास कोंगों में भ करे इना क्षेत्र में शिया स्वास्य पिरहान रोग आद की सुवथा हनेस पालन कि सकता हैं।
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Explanation:
आज गाँवों तथा छोटे नगरों में यह प्रवृति पनपती जा रही है कि महानगर की ओर चला जाए। अब लोगों का गाँवों के जीवन के प्रति कोई लगाव नहीं रह गया है। गाँव के लोगों का शहरी जीवन लुभाता है। अब उनका मन भी शहरी सुख-सुविधाएँ भोगने को उतावला हो रहा है। हमे इस प्रवृति की तह में जाकर इसके कारणो को जानना-समझना होगा।
महानगर का जीवन चकाचैंध भरा होता है। यहाँ लोगों को सुख ही सुख नजर आता है। वे महानगर की समस्याओं के प्रति अनजान बने रहते हैं इनका सामना तो उन्हें वहीं जाकर करना पड़ता है। महानगर की ओर पलायन का एक दूसरा बड़ा कारण बेरोजगारी की समस्या है। गाँवों और छोटे नगरों में काम-धंधों का अभाव है। लोग भूखमरी की स्थिति में हैं। उन्हें लगता है कि महानगर मे जाकर उन्हें कोई न कोई काम अवश्य मिल जाएगा और घर-गृहस्थी कर पालन-पोषण कर पाएँगे। यह सही भी है कि महानगरों में रोजगार पाने की संभावना भी अधिक रहती है। लोगों की भौतिकतावादी प्रवृति भी उन्हें महानगरों की ओर ले जाती है।
हमें इस समस्या हल खोजना होगा। गाँवों को भी सुविधाजनक बनाया जाना चाहिए। वहाँ कुटीर उद्योगां का जाल फैलाया जाए तो लोगों को अपने ही गाँवों में काम-धंधा मिल जाएगा। तब वे महानगर की ओर पलायन नहीं करेंगे।