महानगरों की समसिया
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महानगरों में लाइट , पानी , बिजली , प्रदूषण और भी कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है, कई बार तो नलों में पानी तक नहीं आता जिसके कारण उनको कई किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है । गर्मियों के समय उनको पानी की समस्या से गुजरना पड़ता है ।
आज अधिकतर सभी गांव कस्बों से लोग अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए शहर भेजते हैं यहां पर वह पढ़ाई पूरी करके शहर में ही छोटा रोजगार करके अपना जीवन यापन करने लगते हैं । बढ़ती हुई जनसंख्या से शहरों में तरह-तरह की समस्या उत्पन्न होती जा रही है। महानगरों में ना तो शुद्ध वातावरण मिल पाता है और ना ही रोजगार । शहरों में कई लोग किराए के मकानों में अपनी पूरी जिंदगी बिता देते हैं क्योंकि जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे शहर भी कई दूरी तक फैलते जा रहे है । जहां खेतों पर फसल उगाई जाती थी वहां पर प्लाट काटकर ऊंचे ऊंचे दामों पर बेचे जा रहे हैं फिर भी शहरों में कई सारे लोग किराए के मकानों में रह कर अपना जीवन यापन करते हैं। शहरों में जनसंख्या बढ़ जाने के कारण पानी की व्यवस्था लोगों को नहीं मिल पाती है। महानगरों में जनसंख्या बढ़ने के कारण हर तरह का प्रदूषण फैलता जा रहा है, महानगरों में वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है ,महानगरों में लोगों का जी घबराने लगा है ना तो वहां के लोगों को शांति मिलती है और ना ही शुद्ध वातावरण|
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महानगरों में लाइट , पानी , बिजली , प्रदूषण और भी कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है , कई बार तो नलों में पानी तक नहीं आता जिसके कारण उनको कई किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है । गर्मियों के समय उनको पानी की समस्या से गुजरना पड़ता है ।
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