Hindi, asked by samiyasiddiqui1612, 5 months ago

महापुरुष लोग जब आते है, हम लोग उन्हें अच्छी तरह पहचान नहीं पाते क्योंकि हम मन से भीरु और अस्वच्छ हैं | स्वभाव शिथिल है,अभ्यास दुर्बल है | हमारे मन में वह क्षमता नहीं है, जिससे हम उनकी महत्ता को पूर्ण रूपेण समझ सकें, उसको ग्रहण कर सके| जो महापुरुष प्रेम देकर अपना परिचय देते है, उनको हम उनके प्रेम से किसी सीमा तक समझ नहीं सकते हैं| हम लोग समझ गए हैं, “वे गांधी जी हमारेहैं|” उनके प्रेम में ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं है, मूर्ख-विद्वान का भेदभाव नहीं है, धनवान-दरिद्रका भेद नहीं है| उन्होंने अपना प्रेम सभी को समान रूप से वितरित किया है | उन्होंने कहा कि, ‘ सबका कल्याण हो, सबका मंगल हो|’ उन्होंने जो कुछ कहा है वह केवल बातों से नहीं कहा है, अपितु दुःख की वेदना से कहाहैं| उनका धैर्य देखकर, महत्त्व देखकर, उनका संकल्प सिद्ध हो गया| किन्तुकिसी प्रकार की जोर-जबदस्ती से नहीं, अपितु त्याग द्वारा,सीख द्वारा, तपस्या द्वारा वे अपने संकल्प में विजयी हुए |

(क) गांधीजी का प्रेम कैसा था ?
(ख) उपर्युक्त गद्यांश से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
(ग) हम महापुरुषों को क्यों नहीं पहचान पाते ?
(घ) गांधीजी का क्या संकल्प था ?
(ड.) गांधीजी का संकल्प कैसे सिद्ध हुआ ?​

Answers

Answered by ayushbag03
11

 1.  हम अपनी भीरुता, दुर्बलता, अस्वच्छता और शिथिलता के कारण महापुरुषों की महानता को समझ नहीं पाते, इसीलिए उन्हें पहचान भी नहीं पाते.

2.   गांधी जी का प्रेम बिना किसी भेदभाव के था. वे उच्च नीच का भेद करते थे ना मूर्ख और विद्वान का.

3.   गांधी जी ने सबको समान रूप से प्रेम किया.

4.    गांधी जी अपनी बात शब्दों से नहीं, करुणा और वेदना से कहते थे.

   ” संकल्प ”  से तात्पर्य है – दृढ़ निश्चय.

  5.   अपठित गद्यांश का शीर्षक – गांधी जी का प्रेम परिचय

Similar questions