महाराज दशरथ को किस देवता के आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति हुई ।
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मधेपुरा। राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने वाले श्रृंगि ऋषि की तपोभूमि के रूप में सिंहेश्वर स्थान प्रसिद्ध रहा है। श्रृंगि ऋषि की तपोभूमि रहने की वजह से ही इस स्थान का सिंहेश्वर पड़ा। पहले इस स्थान का नाम श्रृंगेश्वर था जो बाद में सिंहेश्वर के नाम से प्रचलित हो गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार सदियों पूर्व यह स्थल घना जंगल हुआ करता था। यहां पर श्रृंगि ऋषि तपस्या में लीन रहते थे। राजा दशरथ को पुत्र नहीं होने पर उन्हें श्रृंगि ऋषि द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने का सलाह दिया गया जिसके बाद राजा दशरथ ने इनसे पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया इसके बाद भगवान राम सहित अन्य पुत्र रत्न की प्राप्ति उन्हें हुई थी। श्रृंगि ऋषि द्वारा कराए गए यज्ञ से राजा दशरथ को पुत्र होने के बाद सिंहेश्वर स्थान लोग पुत्र प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लेने आने लगे। मंदिर स्थित बाबा सिंहेश्वर नाथ के लिंग को कामना लिंग कहा जाता है। यहां के बारे में स्थापित मान्यता यह है कि सन्तान की चाह में आने वाले दम्पति को बाबा आर्शीवाद अवश्य मिलता है। यही वजह है कि क्षेत्र के अधिकांश श्रद्धालु शादी होने के बाद यहां भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर जीवन की शुरूआत करते हैं। लग्न के मौसम में भी एक-दिन में यहां सैकड़ों शादियां भी संपन्न होती है।