History, asked by sy7255800, 10 months ago

महाराणा कुम्भा को अभिनव भट्टाचार्या क्यों कहा जाता है?​

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Answered by satanu735
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महाराणा कुम्भा या महाराणा कुम्भकर्ण (मृत्यु 1468 ई.) सन 1433 से 1468 तक राजपूत वंश के राजा थे। महाराणा कुंभकर्ण का भारत के राजाओं में बहुत ऊँचा स्थान है। उनसे पूर्व राजपूत केवल अपनी स्वतंत्रता की जहाँ-तहाँ रक्षा कर सके थे। कुंभकर्ण ने मुसलमानों को अपने-अपने स्थानों पर हराकर राजपूती राजनीति को एक नया रूप दिया। इतिहास में ये 'राणा कुंभा' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। महाराणा कुुुम्भा को चित्तौड़ दुर्ग का आधुुुनिक निर्माता भी कहते हैं क्योंकि इन्होंने चित्तौड़ दुर्ग के अधिकांश वर्तमान भाग का निर्माण कराया

महाराणा कुंभा राजस्थान के राजपूत वंश शासकों में सर्वश्रेष्ठ थे। मेवाड़ के आसपास जो उद्धत राज्य थे, उन पर उन्होंने अपना आधिपत्य स्थापित किया। 35 वर्ष की अल्पायु में उनके द्वारा बनवाए गए बत्तीस दुर्गों में चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, अचलगढ़ जहां सशक्त स्थापत्य में शीर्षस्थ हैं, वहीं इन पर्वत-दुर्गों में चमत्कृत करने वाले देवालय भी हैं। उनकी विजयों का गुणगान करता विश्वविख्यात विजय स्तंभ भारत की अमूल्य धरोहर है। कुंभा का इतिहास केवल युद्धों में विजय तक सीमित नहीं थी बल्कि उनकी शक्ति और संगठन क्षमता के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता भी आश्चर्यजनक थी। ‘संगीत राज’ उनकी महान रचना है जिसे साहित्य का कीर्ति स्तंभ माना जाता है। राणा कुंभा ने अपने पिता राणा मोकल को 1433 ईस्वी में भील प्रमुखों की सहायता से सफल किया।

Answered by shishir303
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महाराणा कुम्भा को अभिनव भरताचार्य क्यों कहा जाता है?

महाराणा कुंभा राजस्थान के प्रसिद्ध वीर योद्धा और शासक थे। वह केवल एक वीर योद्धा और शासक राजा ही नहीं बल्कि कला के प्रेमी और विद्वान भी थे। उन्हें ‘युद्ध में स्थिर बुद्धि’ कहा गया है।

महाराणा कुंभा को वेद, स्मृति, मीमांसा, उपनिषद, व्याकरण, राजनीति और साहित्य का भरपूर ज्ञान था। वह महान संगीतज्ञ थे, और संगीत के अच्छे जानकार थे और एक महान संगीत ज्ञाता होने के कारण “अभिनव भरताचार्य” कहा गया है। इसके साथ उन्हें ‘वीणा वादन प्रवीण’ भी कहा जाता है। वह वीणा बजाने में बेहद निपुण थे। उन्होंने संगीत से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना की। जिसमें संगीत राज, संगीत मीमांसा, संगीत क्रम दीपिका व सूड प्रबंध आदि प्रमुख हैं।

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