महाराणा प्रताप की बेटी ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोने लगी?
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Kyunki usse Laga Main Mar jaaungi
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मेवाड़ में एक रीति है. उत्तराधिकारी अपने पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जाता. शुरुआत इसी बात से करते हैं. फ़रवरी, 1572 में उदयपुर से कोई 20 मील दूर माउंट आबू की तरफ, गोगुन्दा में राणा उदय सिंह का अंतिम संस्कार हो रहा था. सभी सामंत, ठाकुर और बड़े कुंवर प्रताप सिंह सिसोदिया वहां मौजूद थे. लेकिन उदय सिंह के छोटे बेटे, कुंवर जगमाल नदारद थे. खटका हुआ कि आख़िर वे कहां हैं? कुंवर सगर (राजकुमार और उदयसिंह के एक और पुत्र) से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हुकम स्वर्गवासी होने से पहले कुंवर जगमाल को एकलिंग जी का दीवान नियुक्त कर गए हैं (उदयपुर के सिसोदिया यह मानते हैं कि शासन एकलिंग भगवान का है और वे उनके दीवान हैं). चुंडा अक्षयराज सोनगरा (सामंतों के सरदार) ने उन्हें यह कहकर बीच में रोक लिया कि सामंतों की इच्छा तो कुंवर प्रताप हैं! सामंतों की चली. इतिहास हमेशा के लिए मुड़ चुका था और प्रताप उदयपुर के राणा बने.