महाराव रत्नसिंह ने बन्दी शत्रु सेनानायक को किस प्रकार विदा किया?
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महाराव ने अपनी संस्कृति और उच्च आदर्शों के अनुसार अपने राज्य के विजयोत्सव में बन्दी सेनापति काफूर को ससम्मान अपनी बगल में बिठाया।
अपनी अनुपस्थिति में उन्हें जो असुविधाएँ हुई होंगी उनके लिए क्षमा याचना की। तत्पश्चात् महाराव ने मलिक काफूर को एक बहुमूल्य सरपेच (पगड़ी या साफा) सम्मानित किया तथा पान का बीड़ा देकर विदा किया।
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