महात्मा गांधी जी के निबंध चोरी और प्रायश्चित का सार अपने शब्दों में लिखिए।
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महात्मा गांधी जी के चोरी व प्रायश्चित का सार निम्नलिखित है।
- एक रिश्तेदार की संगत में गांधीजी को बीड़ी पीने का शौक लगा। उन दोनों के पास पैसे नहीं थे इसलिए काकाजी को बीड़ी पीकर ठूंठ छोड़ देते थे, वो चुराया करते थे।
- ठूंठ रोज तो नहीं मिल सकते थे व बच्चे हुए ठूंठ में से धुआं भी नहीं निकलता था।
- इन दोनों ने पैसे चोरी करने का निर्णय लिया। वे नौकर की जेब से दो चार पैसे चुरा लिया करते थे।
-इन दोनों को पता चला कि एक पौधा होता है जिसके डंठल से बीड़ी बनती है। इस प्रकार भी वे बीड़ी पीने लगे।
- उन्हें यह पराधीनता पसंद नहीं आयी कि सभी के गुलाम बन कर रहे। उन्होंने आत्महत्या करने की ठानी।
उन्हें ग्लानि भी हुई। वे प्रायश्चित करना चाहते थे। उन्होंने धतूरे के बीज मनवाए ।
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