Hindi, asked by rinurini7316, 2 months ago

महात्मा गाँधी जी के सपनों का भारत। Paragraph writing in Hindi ( 100 words )​

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Answered by ghulesunita266
3

Answer:

गांधीजी ने अपना प्रसिद्ध कृति “मेरे सपनों का भारत” में लिखा है कि मैं भारत को स्वतंत्र और बलवान देखना चाहता हूं. भारत के लिए गांधीजी का सपना देश में स्वराज लाने का था. जो किसी भी जाति या धार्मिक उद्देश्य को मान्यता नहीं देता है. स्वराज जो सभी के लिए हो, जिसमें किसान, विकलांग, अंधे और मेहनतकश लाखों लोग शामिल हो.

Explanation:

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Answered by abhishekulagadde708
1

Explanation:

गांधीजी ने अपना प्रसिद्ध कृति “मेरे सपनों का भारत” में लिखा है कि मैं भारत को स्वतंत्र और बलवान देखना चाहता हूं. भारत के लिए गांधीजी का सपना देश में स्वराज लाने का था. जो किसी भी जाति या धार्मिक उद्देश्य को मान्यता नहीं देता है. स्वराज जो सभी के लिए हो, जिसमें किसान, विकलांग, अंधे और मेहनतकश लाखों लोग शामिल हो

गाँधी जी ने अपनी प्रसिद्ध कृति मेरे सपनो का भारत में लिखा है "मैं भारत को स्वतन्त्र और बलवान बना हुआ देखना चाहता हूँ। भारत का भविष्य पश्चिम के उस रक्त−रंजित मार्ग पर नहीं है जिस पर चलते−चलते पश्चिम अब स्वयं थक गया है। पाश्चात्य सभ्यता का मेरा विरोध असल में उस विचारहीन और विवेकहीन नक़ल का विरोध है, जो यह मानकर की जाती है कि एशिया−निवासी तो पश्चिम से आने वाली हरेक चीज की नक़ल करने जितनी ही योग्यता रखते हैं। यूरोपीय सभ्यता बेशक यूरोप के निवासियों के लिए अनुकूल है, लेकिन यदि हमने उसकी नक़ल करने की कोशिश की, तो भारत के लिए उसका अर्थ अपना नाश कर लेना होगा। मैं साहसपूर्वक यह कह सकता हूँ कि जिन शारीरिक सुख−सुविधाओं के वे गुलाम बनते जा रहे हैं उनके बोझ से यदि उन्हें कुचल नहीं जाना है, तो यूरोपीय लोगों को अपना दृष्टिकोण बदलना पड़ेगा। संभव है मेरा यह निष्कर्ष गलत हो, लेकिन यह मैं निश्चयपूर्वक जानता हूँ कि भारत के लिए इस सुनहरे मायामृग के पीछे दौड़ने का अर्थ आत्मनाश के सिवा और कुछ न होगा। हमें अपने हृदयों पर एक पाश्चात्य तत्वनाश का यह बोध वाक्य अंकित कर लेना चाहिये सादा जीवन उच्च चिन्तन'।" गाँधी जी ने राजनेताओं और कथित समाजसेवियों को लक्ष्य करते हुए स्पष्ट रूप से लिखा है "आज तो यह निश्चित है कि हमारे लाखों−करोड़ों लोगों के लिए सुख−सुविधाओं वाला जीवन संभव नहीं है और हम मुट्ठी भर लोग, जो सामान्य जनता के लिए चिन्तन करने का दावा करते हैं, सुख−सुविधाओं वाले उच्च जीवन की निरर्थक खोज में उच्च चिन्तन को खोने का जोखिम उठा रहे हैं।"

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