महात्मा गांधी के श्रमप्रतिष्ठा और अहिंसा संबंधी विचार पढ़कर चरचा कीजिए
Answers
Answered by
25
✨HEY MATE HERE IS YOUR ANS ✨
महात्मा गाँधी कहते हैं कि एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है वह है अहिंसा। व्यक्ति हिंसक है तो फिर वह पशुवत है। मानव होने या बनने के लिए अहिंसा का भाव होना आवश्यक है।
गाँधी जी कहते हैं कि हमारा समाजवाद अथवा साम्यवाद अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जिसमें मालिक-मजदूर एवं जमींदार-किसान के मध्य परस्पर सद्भावपूर्ण सहयोग हो। नि:शस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी। सच्ची अहिंसा मृत्युशैया पर भी मुस्कराती रहेगी। बहादुरी, निर्भीकता, स्पष्टता, सत्यनिष्ठा, इस हद तक बढ़ा लेना कि तीर-तलवार उसके आगे तुच्छ जान पड़ें, यही अहिंसा की साधना है। शरीर की नश्वरता को समझते हुए, उसके न रहने का अवसर आने पर विचलित न होना अहिंसा है।
✌️HOPE IT HELPS U ✌️
☺️☺️☺️☺️☺️☺️
महात्मा गाँधी कहते हैं कि एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है वह है अहिंसा। व्यक्ति हिंसक है तो फिर वह पशुवत है। मानव होने या बनने के लिए अहिंसा का भाव होना आवश्यक है।
गाँधी जी कहते हैं कि हमारा समाजवाद अथवा साम्यवाद अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जिसमें मालिक-मजदूर एवं जमींदार-किसान के मध्य परस्पर सद्भावपूर्ण सहयोग हो। नि:शस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी। सच्ची अहिंसा मृत्युशैया पर भी मुस्कराती रहेगी। बहादुरी, निर्भीकता, स्पष्टता, सत्यनिष्ठा, इस हद तक बढ़ा लेना कि तीर-तलवार उसके आगे तुच्छ जान पड़ें, यही अहिंसा की साधना है। शरीर की नश्वरता को समझते हुए, उसके न रहने का अवसर आने पर विचलित न होना अहिंसा है।
✌️HOPE IT HELPS U ✌️
☺️☺️☺️☺️☺️☺️
Answered by
10
महात्मा गांधी हमेशा से ही कर्म को उच्च स्थान देते थे। उनके जीवन में कर्म ही उनकी प्रतिष्ठा थी।
अगर उनके मृत्यु के बाद भी देश और दुनिया गांधी जी का सम्मान करती है तो उसका एक मात्र कारण उनका कर्म ही है।
उन्होंने हमेशा ही अहिंसा का मार्ग अपनाया। जितनी भी लड़ाई उन्होंने अंग्रेज़ो के खिलाफ लड़ी सभी बिना किसी हिंसा के लड़ी और जीती भी।
शांति तथा अहिंसा के रास्ते ही उन्होंने भारत देश की अंग्रेज़ो के हाथों से आजाद कराया। वो अपने समर्थकों से भी यही अपील करते थे कि उनकी लड़ाई अहिंसा से लड़ी जाएगी।
Similar questions