महात्मा गाँधी ने बी. बी. सी. को भारत के आजाद होने पर अपना सन्देश प्रसारित करने के लिए क्यों नहीं दिया? राष्ट्रभाषा हिंदी पाठ से
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दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को प्रधानमंत्री ने अपनी रैली में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देशभर में चल रहे प्रदर्शनों की जमकर आलोचना की.
अपने लगभग डेढ़ घंटे लंबे भाषण में प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के बयान का ज़िक्र किया, जिसकी ख़ूब चर्चा हो रही है.
उन्होंने कहा ''महात्मा गांधी जी ने कहा था पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख साथियों को जब लगे कि उनको भारत आना चाहिए तो उनका स्वागत है. ये मैं नहीं कह रहा हूं पूज्य महात्मा गांधी जी कह रहे हैं. ये क़ानून उस वक्त की सरकार के वायदे के मुताबिक़ है.''
नागरिकता संशोधन अधिनियम में एक धर्म विशेष को नज़अंदाज़ करने का आरोप सरकार पर लगाया जा रहा है और इसका देशभर में विरोध किया जा रहा है.
इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम समुदायों के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
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पीएम मोदी गांधी के इस बयान का ज़िक्र करते हुए विपक्ष और देश से यह कह रहे थे कि ऐसा महात्मा गांधी आज़ादी के समय से चाहते थे.
बीबीसी ने प्रधानमंत्री के इस दावे की पड़ताल शुरू की. हमने महात्मा गांधी के लेखों, भाषणों, चिट्ठियों को खंगालना शुरू किया. इसके बाद हमें कलेक्टेड वर्क ऑफ़ महात्मा गांधी के वॉल्यूम 89 में इस बयान का ज़िक्र मिला.
26 सितंबर, 1947 को यानी आज़ादी के लगभग एक महीने बाद प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी ने ये बात कही थी लेकिन इतिहास के जानकार और गांधी फ़िलॉसफ़ी को समझने वाले इस बयान के संदर्भ और वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं.
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