Hindi, asked by krishnakbthapa4150, 2 months ago

महात्मा गॉंधी ने निर्दयी अंग्रेजों को अहिंसा के बल पर भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। ( विशेषण छाँटकर भेद का नाम लिखिए ) ​

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Answered by punjabigirl03112
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Answer:

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Explanation:

साल 1939 में पूरा विश्व दूसरे विश्वयुद्ध की चपेट में था। युद्ध के कारण तमाम वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ रहे थे और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारतीय जनमानस में असंतोष बढ़ने लगा था। मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया, जिसमें युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को औपनिवेशिक दर्जा देने की बात थी, पर प्रस्ताव में दिए गए आश्वासन भारतीय नेताओं को पसंद नहीं थे। उन्हें मिशन के प्रस्तावों से अपने छले जाने का अहसास हो रहा था। इन बातों से एक बड़े आंदोलन की जमीन तैयार होने लगी। इसलिए जब 8 अगस्त, 1942 को कांग्रेस के अधिवेशन में भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया गया, तब मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में लोगों ने पूरी तरह से इसका समर्थन किया। अगले दिन यानी 9 अगस्त की सुबह तक बड़े नेताओं की गिरफ्तारी 'ऑपरेशन जीरो ऑवर' के तहत कर ली गई। आंदोलन की अगुवाई छात्रों, मजदूरों और किसानों ने की। बहुत से क्षेत्रों में किसानों ने वैकल्पिक सरकार बनाई। बलिया शहर पर चित्तू पांडेय जैसे स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में लोगों ने कब्जा कर लिया। उत्तर और मध्य बिहार के 80 प्रतिशत थानों पर जनता का राज हो गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार में गया, भागलपुर, पूर्णिया और चंपारण में अंग्रेजों के खिलाफ स्वत: स्फूर्त विद्रोह हुआ। आंदोलन का एक भूमिगत संगठनात्मक ढांचा भी तैयार हो रहा था। आंदालेन की बागडोर अच्युत पटवर्धन, अरुणा आसफ अली, राममनोहर लेाहिया, सुचेता कृपलानी, छोटू भाई पुराणिक, बीजू पटनायक, आरपी गोयनका और बाद में जेल से भागने के बाद जयप्रकाश नारायण जैसे भारतीय नेताओं ने फरार रहते हुए भी संभाल ली थी। ब्रिटिश सरकार को इस जनविद्रोह को काबू करने में छह-सात हफ्ते लगे। विद्रोह थोड़े समय तक चला, पर यह तेज था। सरकार उसे दबा देने में सफल हुई, लेकिन 1857 के बाद इतना भयंकर विद्रोह दूसरी बार हुआ था, जिसमें अंग्रेजों का भारत से जाना तय हो गया।

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