Hindi, asked by Anonymous, 3 months ago

महात्मा गांधी पर एस्से हिंदी में​ l








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Answered by s06335
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महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्तूबर को हम उन्ही की याद में गाँधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का सम्पूर्ण नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। वे सत्य के पुजारी थे । उनके पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गाँधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गाँधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचाओं और नियमों का पालन करती थी। महात्मा गाँधी के जीवन में उनकी माँ की परछाई हमे देखने को मिलती थी।

गाँधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गाँधी था। कस्तूरबा गांधी जी से 6 माह बड़ी थी। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गाँधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

पोरबंदर में विद्यालय की शिक्षा समाप्त करने के पश्चात उन्होंने राजकोट से अपने माध्यमिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। फिर वह इंग्लैंड अपने वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 को गाँधी जी ने अपने वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद -भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के गोरे लोग काले लोगों पर ज़ुल्म ढाते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।

1914 को गाँधी जी भारत वापस आये तो उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के तानाशाह को जवाब देने के लिए बिखरे समाज को एक जुट करने की सोची। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानो पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ी थी।

गाँधी जी अहिंसा में विश्वास करते थे और समाज को भी उसी का सहारा लेने के लिए कहते थे। 1 अगस्त 1920 को गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी। गांधीजी ने इस आंदोलन के माधयम से भारत में उपनिवेशवाद को समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने भारतीयों से यह अपील की थी कि स्कूल, कॉलेज और न्यायलय न जाये और ना कोई कर चुकाए और सम्पूर्ण रूप से इसका बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने अंग्रेज़ों की नीव को हिलाकर रख दिया था।

गाँधी जी ने नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलन किया था। अंग्रेज़ों ने अपना आधिपत्य चाय, पोशाक और नमक जैसी वस्तुओं पर जमा रखा था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी गाँव तक पैदल मार्च किया। बाबू जी ने नमक बनाकर अंग्रेज़ो को चुनौती दी थी।

गाँधी जी ने दलित आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने इस आंदोलन के द्वारा दलितों के प्रति हो रहे अत्याचारों का विरोध किया था और समाज से छुआछूत जैसे अन्धविशवासों पर अंकुश लगाने के लिए यह आंदोलन 1933 साल में आरम्भ किया था। इसके लिए उन्होंने 21 दिन का उपवास भी किया था। उन्होंने दलितों को हरिजन का नाम दिया था। गाँधी जी ने 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन किया था और उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बहुत बड़े आंदोलन का एलान कर दिया था। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने अछूतों को उनकी पीड़ाओं से मुक्ति दिलाने की भरपूर कोशिश की थी।

गाँधी जी ने समाज को शान्ति और सत्य का पाठ पढ़ाया। समाज में हो रहे धर्म, जाति के भेद -भाव को सरासर नकारा और लोगों को नयी प्रेरणा दी। अंग्रेज़ो के गलत इरादों को तोड़ने से लेकर राष्ट्र को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सत्याग्रह आंदोलन किये। आखिर में महत्मा गाँधी के नेतृत्व और कई कोशिशों के कारण भारत 1947 14 अगस्त को आज़ादी का सूरज देखा।

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