महात्मा गांधी पर निबंध छोटा
Answers
अहिंसा के पुजारी 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी
इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है।
Answer:
Mohandas Karamchand Gandhi was an Indian lawyer, anti-colonial nationalist and political ethicist who employed nonviolent resistance to lead the successful campaign for India's independence from British rule and in turn inspired movements for civil rights and freedom across the world. राजचंद्र जी महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे। गांधीजी इनसे खासे प्रभावित रहते थे। श्रीमद् राजचंद्र जी की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से पहली मुलाकात 1891 में मुंबई में हुई थी। मुलाकात के बाद गांधीजी बहुत प्रभावित हुए। एक बार फिर अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में अपने भाषण में महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु राजचंद्रजी का जिक्र कर उनके बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा कर दी। इससे पहले पीएम मोदी पिछले साल 15 अगस्त को लालकिले से भी अपने भाषण में उनके नाम की चर्चा कर चुके हैं । गौरतलब है कि राजचंद्र जी महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे। गांधीजी इनसे खासे प्रभावित रहते थे। दरअसल राजचंद्र जी का जन्म 9 नवंबर 1867 को गुजरात के बावणिया में हुआ था। जब वह चार वर्ष के थे, तब उनका नाम रायचंद रखा गया था। लेकिन उन्हें बाद में श्रीमद् राजचंद्र के नाम से प्रसिद्धि मिली। राजचंद्र जी ने गांधी जी के साथ लंबे समय तक कार्य किया। उनका निधन 9 अप्रैल 1901 को हुआ था।
1891 में हुई महात्मा गांधी से मुलाकात
श्रीमद् राजचंद्र जी की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से पहली मुलाकात 1891 में मुंबई में हुई थी। उनकी यह मुलाकात तब हुई थी जब महात्मा गांधी इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी कर लौटे थे। महात्मा गांधी श्रीमद राजचंद्र जी से बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद महात्मा गांधी लंबे समय तक राजचंद्र जी से जुड़े रहे। महात्मा गांधी ने कई मौकों पर राजचंद्र जी का जिक्र किया है।
नाटक से कर रहे प्रचार प्रसार
गुजरात के धरमपुर स्थित श्रीमद् राजचंद्र मिशन आज पूरी दुनिया में राजचंद्र की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर रहा है। यह संगठन नाटक के जरिए राजचंद्र जी की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करता है।
युगपुरुष- महात्मा के महात्मा नाम के इस नाटक के जरिए संस्था के लोग महात्मा गांधी के रामचंद्र के संपर्क में आने के बाद महात्मा बनने की पूरी कहानी बताते हैं।