महात्मा हंसराज के मन में जीवनदान की भावना कैसे पैदा हुई उन्होंने इस भावना को कै सेसाकार ककर्ा?
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आजीवन बिना कोई वेतन लिये तन व मन से स्कूल व कालेज की सेवा का जो महाव्रत लिया महात्मा हंसराज जी ने 27 फरवरी, 1886 को आर्यसमाज लाहौर में महर्षि दयानन्द जी की स्मृति में स्थापित होने वाले डी. ... स्कूल व कालेज के प्राचार्य का दायित्व संभालने एवं अपना जीवन-दान देने की घोषणा की थी।
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महात्मा हंसराज (अंग्रेज़ी: Mahatma Hansraj, जन्म- 19 अप्रैल, 1864, पंजाब; मृत्यु- 15 नवम्बर, 1938, लाहौर) पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में डी.ए.वी. के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हंसराज जी स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। वे जातिवाद के प्रबल विरोधकर्ता थे।
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