महात्म जी ने मन में क्या विचर किया?
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उनकी अहिंसा की अवधारणा न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सहायक हुई बल्कि इसके माध्यम से विश्व को शोषण और अत्याचार से निपटने के लिये एक और हथियार मिला। हालाँकि आज ऐसा समय आ गया है जब अधिकतर लोग गांधी और उनके विचारों की आवश्यकता को ही नकार रहे हैं और वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर प्रश्न उठाया जा रहा है। आज गांधी जी को सिर्फ 2 अक्तूबर के ही दिन याद किया जाता है। आज गांधी के विचारों को ताक पर रखकर हिंसा के सहारे तमाम तरह के हितों को साधने का प्रयास किया जा रहा है।
जानकर मानते हैं कि गांधी के विचार ऐसे समय में सबसे अधिक प्रासंगिक हैं जब लोग लालच, व्यापक हिंसा और भागदौड़ भरी जीवन-शैली के समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हों। गांधी जी की अहिंसा और सत्याग्रह की अवधारणा की आज सबसे अधिक आवश्यकता है, क्योंकि यही वह समय है जब मात्र प्रतिशोध के नाम पर किसी की भी हत्या कर दी जाती है और अपने आलोचकों को दुश्मन से अधिक कुछ नहीं समझा जाता। संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और अब म्याँमार में आंग सान सू की जैसे लोगों के नेतृत्व में दुनिया भर में कई उत्पीड़ित समाजों द्वारा लोगों को जुटाने की गांधीवादी तकनीक को सफलतापूर्वक नियोजित किया गया है, जो कि इस बात की गवाही देता है कि गांधी और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।