Hindi, asked by aadilfaraz69, 3 months ago

महादेवी वमरा का जीवन परिचम निम्न विन्दुओ के आधार? ​

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Answered by shreya1234singh1234
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श्री महादेवी वर्मा जी हिंदी की एक बहुत महान कवित्री और उपन्यासकार थी। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। वे हिंदी की छयावादी युग के ४ प्रमुख खम्बों(जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पांत और महादेवी वर्मा) में से एक थीं। महादेवी वर्मा हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से थीं। उन्होंने भारत को दोनों स्वतंत्रता के पहले और बाद देखा था। गिल्लू उनकी एक बहुत की बहुचर्चित कहानी है। वो बोधि धर्म से बहुत प्रभावित थीं।   उनकी शिक्षा इंदौर के मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई थी। ९ बरस की उम्र में उनकी शादी डॉ स्वरुप नारायण वर्मा से हो गयी थी। विवाह के बाद उन्होंने अल्लाहाबाद के क्रास्थवेट कॉलेज प्रवेश किया और महाविद्यालय के छात्रावास में ही रहने लगीं।

जब उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम॰ए॰ पास किया तब तक उनके दो कविता संग्रह नीहार तथा रश्मि प्रकाशित हो चुके थे। उन्होंने अपना जीवन एक सन्यासी की तरह बिताया। उन्होंने पूरे जीवन में बस श्वेत कपड़े पहने। शादी के बाद महादेवी जी कॉलेज के छात्रावास में ही रहती थीं और उनके पति लखनऊ मेडिकल कॉलेज के बोर्डिंग हाउस में रहते थे। महादेवी जी अपने पति के मर जाने के बाद कभी शीशा नहीं देखा और तख़्त पर सोई। दोनों पति-पत्नी में कभी कभी पत्राचार होता था।  

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