) महादेवी वर्मा अपने आप को "मैं नीर भरी दुख की बदली क्यों कहती है?
Answers
Answered by
9
Answer:
परिचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली । व्याख्या-महादेवी कहती है कि वह नीर से भरी हुई बदली है । अर्थात करूणा. दया आदि कोमल भावों से भरी हुई है | बादल के कंपन में विश्व रिका जाता है और उसके आँसू से आहत विश्व हँसने लगता है ।
Explanation:
pls mark me as a brainlist bro
Answered by
3
Answer:
HEY!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!°°°
Similar questions