महादेवी वर्मा की भाषा शैली की विशेषताएं बताइए
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महादेवी वर्मा की भाषा शैली की विशेषताएं :
- शुद्ध खड़ी बोली हिंदी संपुर्ण कविता में सरल रूप से प्रयुक्त की है |
- गोत में रूपक , उपमा , पुनरुक्ति प्रकाश , अनुप्रास आदि अलंकारों की छटा जहाँ-तहाँ दिखाई पड़ती है | मानवीकरण का बहुत सुन्दर प्रयोग किया गया है |
- वियोग श्रृंगार और लक्षणा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है |
- महादेवी वर्मा की रचनाओं में भावनाओं-प्रेम , विरह , पीड़ा आदि की अभिव्यक्ति हुई है |
महादेवी का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ।
महादेवी जी का लगाव लेखन, संपादन और अध्यापन रहा। उन्होंने इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किए। इसके अतिरिक्त उनकी 18 काव्य और गद्य कृतियां हैं जिनमें मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियाँ और अतीत के चलचित्र प्रमुख है।
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mahadevi Varma ki bhasha :-shuddh sahitya, khadi boli, h jisme Sanskrit ke saral our klist tatsam shabd ka mel h sheli :- bhavtaralta , alankarita, chhayawad i chatatmakta aadi h.
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