Hindi, asked by ranisbi94i, 8 months ago

महादेवी वर्मा के काव्य में रहस्यवाद को स्पष्ट कीजिए​

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Answered by Cutegirl609
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Answer:

जैसा कि आचार्य शुक्ल दो प्रकार की रहस्य भावना स्वीकार करते है-

जैसा कि आचार्य शुक्ल दो प्रकार की रहस्य भावना स्वीकार करते है-1. साधनात्मक

जैसा कि आचार्य शुक्ल दो प्रकार की रहस्य भावना स्वीकार करते है-1. साधनात्मक2. भावनात्मक

जैसा कि आचार्य शुक्ल दो प्रकार की रहस्य भावना स्वीकार करते है-1. साधनात्मक2. भावनात्मकसाधनात्मक रहस्यवाद कबीर, जायसी में मिलता है तथा भावनात्मक रहस्यवादी कवियों में। छायावादी कवियों में भी महादेवी प्राधान्य है। इसका कारण यह है कि वह उस युग में कविता लिख रही थीं जिस युग में नारी सामाजिक जकङन में बँधी थीं परन्तु महादेवी को अपने भावनात्मक उच्छवासों को व्यक्त करना था और वह भी ऐसी स्त्री जिसने अपने पति को भी छोङ रखा था।

जैसा कि आचार्य शुक्ल दो प्रकार की रहस्य भावना स्वीकार करते है-1. साधनात्मक2. भावनात्मकसाधनात्मक रहस्यवाद कबीर, जायसी में मिलता है तथा भावनात्मक रहस्यवादी कवियों में। छायावादी कवियों में भी महादेवी प्राधान्य है। इसका कारण यह है कि वह उस युग में कविता लिख रही थीं जिस युग में नारी सामाजिक जकङन में बँधी थीं परन्तु महादेवी को अपने भावनात्मक उच्छवासों को व्यक्त करना था और वह भी ऐसी स्त्री जिसने अपने पति को भी छोङ रखा था।एक स्त्री को प्रकृति प्रेेम आदि के प्रतिभावनाओं, अनुभूतियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी परन्तु अभिव्यक्ति तो करनी ही थी। महादेवी एक पीङित और वेदना से युक्त महिला थीं। अपनी अनुभूतियों को व्यक्त करने के लिए उन्होंने एक नयी शैली की रचना की जिसे आध्यात्म से जोङा गया। इसी कारण महादेवी को रहस्यानुभूति भी कहा गया। सच्चाई तो यह है कि उनका निजी प्रेम पर पर्दा है-

Answered by AmitBhatt95
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Answer:

महादेवी के काव्य में रहस्यवाद

महादेवी की रहस्यभावना पूर्ण रूप् से वैयक्तिक है। वैयक्तिकता से तात्पर्य यह है कि कवि ने जिन भावों को सर्वसाधारण भाव बना दिया है, वह प्रारम्भ में उसके अपने राग-विरागों के मनन के द्वारा अनुरंजित चित्र में उपस्थित हुए है। विचारपूर्वक देखें तो महादेवी का विरह निवेदन संत कवियों के सादृश्य हैं किन्तु इनकी अभिव्यक्ति उनसे अधिक सूक्ष्म और प्रभावोत्पादक है।

संतों का रहस्यवाद साधनात्मक है। अतः उसमें बौद्धिकता का भार और चिन्तन का आभास पाया जाता है। महादेवी के रहस्यवाद में भावों का आवेश भी विद्यमान है।

महादेवी के काव्य में दाम्पत्य प्रेम माधुरी का आधार अवश्य है। इसकी अभिव्यक्ति आत्मिक मिलन के रूप में हुई है। इस मिलन के प्रमुखतः तीन पक्ष है-

स्वप्न मिलन-जागृति में वह जाता कौन

प्रकृति के कलात्मक रूप में करूणामय को भाता है तम के परदे में आना, ईश्वरीय चेतना के संदेश के रूप में।

महादेवी में प्रेम संबंधों की सूक्ष्मता की अभिव्यंजना है। उनकी कविता में प्रिय व प्रियतमा, आत्मा व आत्म सत्ता के प्रतीक के रूप में आते है।

Explanation:

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