Hindi, asked by vedpparkash, 1 year ago

महादेवी वर्मा की काव्यगत विशेताए

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Answered by deepak746426
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महादेवी की कविता वियोग-श्रृंगार प्रधान है। वियोग के जैसे रहस्यमय चित्र उन्होंने अंकित किए हैं, वैसे अत्यंत दुर्लभ हैं। करुण रस की व्यंजना भी उनके काव्य में हुई है। उनके काव्य में सभी छंद मात्रिक हैं। और वे अपने में पूर्ण हैं। उनमें संगीत और लय का विशेष रूप से समावेश है। अलंकार योजना अत्यंत स्वाभाविक है और अलंकारों का प्रयोग भावों को तीव्रता प्रदान करने में सहायक सिद्ध हुआ है।[5](समानोक्ति, उपमा, रूपक, अलंकारों की अधिकता है। शब्दालंकारों की और महादेवी जी की विशेष रुचि नहीं प्रतीत होती फिर भी क्यों कि उनके गीत उनकी अव्यहत साहित्य-साधना के परिणाम हैं अतः कलागीतों के सभी शैल्पिक गुणों से युक्त हैं। उनके काव्य में छायावादी कविता के शिल्प विधान का सफल रूप द्रष्टव्य है। गीतिकाव्य के तत्व अनुभूति प्रवणता, आत्माभिव्यक्ति, संक्षिप्तता, भावान्वित, गेयता आदि उनके काव्य में पूर्णतः दर्शित होते हैं। उन्होंने स्वयं कहा है, 'सुख-दुःख की भावावेशमयी अवस्था का विशेष गिने-चुने शब्दों में वर्णन करना ही गीत है


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