महादेवी वर्मा का पशु पक्षियों के प्रति प्रेम
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महादेवी के चरित्र स्केच, स्पष्ट रूप से जानवरों के दिल की सूजन और surges चित्रित करते हैं। वे उपाख्यानों से भरे हुए हैं जो स्पष्ट रूप से स्पष्ट करते हैं कि जानवरों की देखभाल है और मनुष्यों की तुलना में कहीं अधिक संवेदनशीलता है। अगर महादेवी की कहानियां आपकी आत्मा को छूती हैं, तो उनके कविता संग्रह पढ़ें
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य के स्थान में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उन्हें हिन्दी साहित्य को बहुत सी कविताएँ, गद्य रचनाएँ दी हैं। छायावाद के चार स्तंभों में से वह एक मुख्य स्तंभ मानी जाती है। महादेवी को जानवरों से बहुत लगाव था। उनका यही प्रेम उन्हें उनके नजदीक ले गया। उनके अपने घर में अनगिनत जानवर रहते थे। महादेवी के लिए वह जानवर नहीं थे। उन्होंने माँ के समान सबको प्यार दिया और उन्हें अपने ह्दय में अमर रखा। उनकी कविता मेरा परिवार इसी की एक श्रृंखला है। इसमें उन्होंने, गोरा, सोना, गिल्लू, नीलकंठ इत्यादि पक्षियों तथा जानवरों का उल्लेख किया है। लेखिका ने उनके विषय में इतनी सजीवता से लिखा है मानो ये सारे हमारी आँखों के आगे जीवंत हो उठे हों। इससे पता चलता है कि वह उनसे कितना प्रेम करती थी और वे उनके जीवन में कितना महत्व रखते थे। महादेवी किसी भी घायल या बेसहारा पशु-पक्षियों को अपने घर में आश्रय देकर उन्हें अपना बना लेती थी। वह उन्हें माँ के समान प्यार देती थी तथा उन्हें अपने रंग में ढाल लेती थी।
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महादेवी वर्मा भारत की प्रमुख कवयित्रीयों में से एक है ! आधुनकि भारत की सबसे प्रमुख और लोकप्रिय होने से कारण उन्हें मीरा के नाम से भी जाना जाता है ! इनका जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश, भारत मे हुआ ! कवि निराला ने उन्हें हिंदी साहित्य की सरस्वती भी कहा है ! महादेवी वर्मा ने हिंदी साहित्य को अपनी अनेक रचनायों से सुशोभित किया है ! उन्होंने बहुत से निबंध, कहानियां, एवं कविताएं लिखी जिनमे से उनकी प्रमुख और लोकप्रिय कहानी गिल्लू मुझे अत्यंत प्रिय है !
गिल्लू महादेवी वर्मा की प्रिय रचना मेरा परिवार से लिया गया एक छोटा सा भाग है ! जिसमे लेखिका ने एक गिलहरी का मनुष्य के प्रति प्रेम भाव दिखाया है ! लेखिका को शुरू से ही पशु पक्षियों से बहुत प्यार रहा है ! उनके आंगन में हर तरह के पशु पक्षी रहते थे ! गिल्लु उनकी प्रिय गिलहरी का नाम था ! जो प्रेम भाव गिल्लू ने महादेवी वर्मा के साथ दिखाया वह आज तक उनके किसी भी पशु पक्षी ने नहीं दिखाया था ! गिल्लू उनके साथ उन्ही की थाली में खाना खाती थी ! गिल्लू उन्हें अधमरी हालात में उनके आंगन के फूलों के गमलो के पास मिला ! गिल्लू उनसे सबसे अधिक प्रेम करता था ! जब महादेवी वर्मा को एक दुघर्टना के रूप 2 दिन हस्पताल में रहना पड़ा उस समय महादेवी वर्मा को अपने पास न पा कर गिल्लू ने 2दिन खाना नहीं खाया! गिल्लू महादेवी की प्रिय रचनायों में एक है जो दिल को छू जाती है !
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