महादेवी वर्मा ने गिल्लू पाठ के आधार पर प्रकृति पशु पक्षी एवं मनुष्य आपस में कैसे सहयोगी हैं यह दर्शाते हुए एक सचित्र कविता लिखें.
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✌PLEASE MARK ME BRAINLIST✌
कविता- कवि प्रकृति के बेहद करीब होते हैं, वहां के स्वाभाविक वातावरण में उनके मन से भी कई उद्गार निकलते हैं। छायावादी युग के कवियों ने तो अधिकर प्रकृति के सौंदर्य का अवलोकन करते हुए उसी पर कितनी कविताएं कह दीं। महसूस करें इन कविताओं में सृष्टि के विभिन्न रूप व छवि
संध्या / सुमित्रानंदन पंत
कहो, तुम रूपसि कौन?
व्योम से उतर रही चुपचाप
छिपी निज छाया-छबि में आप,
सुनहला फैला केश-कलाप,
मधुर, मंथर, मृदु, मौन!
मूँद अधरों में मधुपालाप,
पलक में निमिष, पदों में चाप,
भाव-संकुल, बंकिम, भ्रू-चाप,
मौन, केवल तुम मौन!
ग्रीव तिर्यक, चम्पक-द्युति गात,
नयन मुकुलित, नत मुख-जलजात,
देह छबि-छाया में दिन-रात,
कहाँ रहती तुम कौन?
अनिल पुलकित स्वर्णांचल लोल,
मधुर नूपुर-ध्वनि खग-कुल-रोल,
सीप-से जलदों के पर खोल,
उड़ रही नभ में मौन!
लाज से अरुण-अरुण सुकपोल,
मदिर अधरों की सुरा अमोल,--
बने पावस-घन स्वर्ण-हिंदोल,
कहो, एकाकिनि, कौन?
मधुर, मंथर तुम मौन?
☺MOST WELCOME SIS ☺
बताओ संजू अपनी तुम सूची हो कौन
यह देश हमारा देश का विकास
हमारे ही ऊपर निर्भर करता है
हमें सबसे प्रेम की भावना रखनी चाहिए
हमें एक दूसरे का आदर व सम्मान करना चाहिए
जानवर वही इंसान है हम कर्म हम को ही अपना करना पड़ेगा कोई जानवर आते नहीं करेगा