Hindi, asked by Anonymous, 8 hours ago

महादेवी वर्मा पर एक साहित्यिक निबंध लिखिए |​

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Answered by nikeetajohnson16
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प्रस्तावना:

महादेवी वर्मा यह हिंदी साहित्य की एक कवयित्री और लेखिका भी थी | उन्होंने हिंदी साहित्य में एक बेहतरीन गद्य विभाग की लेखिका के रूप में अपनी पहचान बनाई हैं | महादेवी वर्मा यह एक विलक्षण प्रतिभा वाली कवयित्री थी |

महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य के महान कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी ने ‘सरस्वती’ की संज्ञा दी हैं | महादेवी वर्मा को आधुनिक युग में ‘मीरा’ का दर्जा दिया गया हैं |

महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं में से एक प्रेमी का से दूर होने का दुःख और कष्ट तथा पीड़ा का बेहद भावात्मक रूप से वर्णन किया हैं |

जन्म

महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद नामक स्थान पर हुआ था | इनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा और माता का नाम हेमरानी वर्मा था |

महादेवी वर्मा यह अपने भाई – बहनों में सबसे बड़ी थी | उनके पिताजी एक शिक्षक थे और वकालत भी कर चुके थे |

उनकी माता हेमरानी देवी यह आध्यात्मिक महिला थी, जो हमेशा ईश्वर की भक्ति करती थी | धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी उन्हें बहुत रूचि थी |

शिक्षा

महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर से पूर्ण की थी | उसके बाद महादेवी वर्मा ने इलाहाबाद में क्रास्थवेट कॉलेज में प्रवेश लिया |

उन्हें बचपन से ही पढने – लिखने का शौक था | उन्होंने अपनी ७ साल की उम्र में कविताए लिखना शुरू कर दिया |

सन १९३२ में महादेवी वर्मा जी ने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के मकसद से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एम.ए की डिग्री हासिल की | उसी समय उनको दो कृतियाँ प्रसिद्ध हो गयी – रश्मि और नीहार |

Answered by ShiningBlossom
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ㅤㅤㅤㅤㅤमहादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा के गीत करुणा से भींगे हैं। दुःख की बदली के रूप में महादेवी वर्मा का नाम आता है। सर्वतोमुखी प्रतिभा की कलाकर्त्री एवं आधुनिक युग की मीरा संज्ञा से अभिहित महादेवी वर्मा छायावाद की उन्नायिका होने के कारण हिंदी साहित्य के आधुनिक कवियों में अन्यतम है। वेदना की मार्मिक अभिव्यक्ति करते हुए असीम, अगोचर और परोक्ष प्रियतम का प्रणय-निवेदन दीपशिखा के समान अविराम जलती हुई की है, क्योंकि इनका कहना है - 'मिलन का मत नाम ले में विरह में चूर हूँ।'

इनके काव्य की सुखात्मक एवं दुखात्मक अनुभूति बौद्धदर्शन की लोकमंगल विधायिनी पीड़ा है और इस पीड़ा की वीणा तथा रागिनी आप हैं। पीड़ा में उसे खोजकर उसमें पीड़ा ढूँढ़ती हैं। यही उनका आत्मपरक काव्य आद्यांत उनकी वेदना एवं सुकुमार कल्पना का सुमधुर सम्मिश्रण है। 'नीर भरी दुख की बदली के उमड़ने-घुमड़ने से लहराती मधुर बयार आती है तो भावनावश वे नम की दीपावलियों से पलभर बुझ जाने की कामना करती है, क्योंकि मेरे प्रिय को भाता है तम के पर्दे में आना।

महादेवी वर्मा के गीत रहस्यवादी अध्यात्म के अमूर्त आकाश के नीचे लोक-गीतों की धरती पर पले हैं। यही कारण है कि जगह-जगह ऐसी ढली हुई और अनूठी व्यंजना से भरी हुई उनकी पदावली मिलती है कि हृदय खिल उठता है।

जीवन विरह का जलजात होने के कारण वे अपने प्रियतम को एक बार आने के लिए कहती हैं। उनके प्रियतम के लिए क्या पूजा क्या अर्चना कुछ की आवश्यकता नहीं। अतः संयोगावस्था का मधुर मधुर दीप विरहावस्था में भी मुस्काता प्रतीत होता है। वेदनापूर्ण गीत लिखने के कारण कहा जाता है कि उनके गीत दुःख और दर्द के गीत हैं।

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