महादेवी वर्मा वेदना की अमर कवित्री हैं इस कथन की समस्या कीजिए
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महादेवी वर्मा वेदना की अमर कवित्री हैं इस कथन की समस्या कीजिए
महादेवी वर्मा वेदना की अमर कवयित्री रही हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से अपने मन की पीड़ा और वेदना को मुखर होकर प्रस्तुत किया है। विरह का अर्थ होता है, वियोग। कवयित्री महादेवी वर्मा ने अपने जीवन में विरोह को जिया। वह अपने पूरे जीवन नितांत अकेली रही ।बेहद कम आयु में विवाह कर दिए जाने और उसके पश्चात विवाह में अलगाव के कारण उनके मन को बेहद पीड़ा पहुंची। इसके पश्चात उन्होंने अपने विरोह और वियोग की वेदना को अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकट किया। उनकी कविता की कुछ पंक्तियां से यह स्पष्ट होता है....
मैं नीर भरी दुख की बदली
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा
क्रंदन में आहत विश्व हंसा
नैनों में दीपक से जलते
पलकों में निर्झरिणी मचली
इन पंक्तियों से उनके मन की वेदना स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। उन्होंने अपनी काव्य के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के संबंध प्रेरणा के रूप में अभिव्यक्त किया। उनकी वेदना की प्रबलता का मुख्य कारण उनका अकेलापन भी रहा है। उनके जीवन का सूनापन उनकी कविताओं के माध्यम से प्रकट होता रहा है। इसी कारण कवयित्री महादेवी वर्मा विरह और वेदना की कवयित्री रही हैं।
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महादेवी वर्मा वेदना की अमर कवित्री है इस कथन की समीक्षा कीजिए