महा उत्तर लिखना अपेक्षित है
२) सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
३) व्याकरण विभाग में आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
४) शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
(विभाग-१ गद्य - अंक २०)
ति१ अ) गदयांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए।
प्रभात का समय था, आसमान से बरसती हुई प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा कर रही
थीं। बारह घंटो के लगातार संग्राम के बाद प्रकाश ने अंधेरे पर विजय पाई थी। इस खुशी में फूल झूम रहे थे,
पक्षी मोठे गीत गा रहे थे, पेड़ो की शाखाएँ खेलती थीं और पत्ते तालियाँ बजाते थे। चारों तरफ खुशियाँ झूमती
थीं चारों तरफ गीत गूंजते थे। इतने में साधुओं की एक मंडली शहर के अंदर दाखिल हुई । उनका खयाल
था- मन बड़ा चंचल है। अगर इसे काम न हो, तो इधर-उधर भटकने लगता है और अपने स्वामी को विनाश
की खाई में गिराकर नष्ट कर डालता है । इसे भक्ति की जंजीरों से जकड़ देना चाहिए । साधु गाते थे
सुमर-सुमर भगवान को,
मूरख मत खाली छोड़ इस मन को।
जब संसार को त्याग चुके थे, उन्हें सुर-ताल की क्या परवाह थी। कोई ऊँचे स्वर में गाता था, कोई मुँह
में गुनगुनाता था। और लोग क्या कहते हैं, इन्हें इसकी जरा भी चिंता न थी। अपने राग में मगन थे कि
सिपाहियों ने आकर घेर लिया और हथकड़ियाँ लगाकर अकबर बादशाह के दरबार को ले चले ।
यह वह समय था जब भारत में अकबर की तूती बोलती थी और उसके मशहूर रागी तानसेन ने यह कानून
बनवा दिया था कि जो आदमी रागविद्या में उसकी बराबरी न कर सके, वह आगरे की सीमा में गीत न गाए
और जो गाए, उसे मौत की सजा दी जाए । बेचारे बनवासी साधुओं को पता नहीं था परंतु अज्ञान भी अपराध
है । मुकदमा दरबार में पेश हुआ । तानसेन ने रागविद्या के कुछ प्रश्न किए । साधु उत्तर में मुँह ताकने लगे।
अकबर के होंठ हिले और सभी साधु तानसेन की दया पर छोड़ दिए गए।
१) संजाल पूर्ण लिखिए।
पक्षी
प्रकाश की जीत की
पेड की शाखाएँ
पेड के पत्ते
(२)
खुशी में
२) निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलकर लिखिए
१) साध्वी-
२) स्वामिनी
४) औरत-
३) 'मूरख मत खाली छोड़ इस मन को' इस कथन पर ४० से ५० शब्दों में अपना मत लिखिए ।
३) बेगम
(२)
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what is this I didn't understand
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