Hindi, asked by sharmaankit7850, 24 days ago

महावीर की प्रमुख विशेषताएं क्या थी ​

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Answered by bhatiamona
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महावीर की प्रमुख विशेषताएं क्या थी ​

महावीर स्वामी द्वारा दिए गए उपदेश ही उनकी विशेषताएं थीं, जो कि इस प्रकार है....

व्याख्या :

अहिंसा : जैन धर्म को मानने वाले हर व्यक्ति को अहिंसा का पालन करना अनिवार्य है। मन, वचन और कर्म से हिंसा का पूर्ण त्याग करना तथा जीव मात्र के लिए प्रेम एवं दया का भाव रखना तथा अहिंसा का पालन करना जैन धर्म का मूल सिद्धांत है।

सत्य : मनुष्य को सदैव सत्य बोलना चाहिए और असत्य संभाषण से बचना चाहिए।

अस्तेय : मनुष्य को चोरी जैसे किसी भी कार्य से बचना चाहिए और किसी अन्य के धन या पराई वस्तु पर दृष्टि नहीं डालनी चाहिए और ना ही उसे लेना चाहिए।

अपरिग्रह : जैन धर्म के सिद्धांत के अनुसार किसी भी तरह का धन संग्रह वर्जित है। ग्रहस्थ लोग धनोपार्जन तो कर सकते हैं, लेकिन धन को दान आदि कार्यों में अधिक से अधिक लगाना चाहिए।

ब्रह्मचर्य : जैन मुनियों को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। ग्रहस्थो के लिए केवल अपनी पत्नी या पति से ही संबंध बनाना ब्रह्मचर्य के अंतर्गत ही आता है।

त्रिरत्न : जैन धर्म किसी भी तरह के बाहरी आडंबरों में विश्वास नहीं रखता। महावीर स्वामी ने मोक्ष प्राप्ति के लिए सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र इन

त्रिरत्नों का मार्ग सुझाया है।

तप : जैन धर्म में कठोर तक को विशेष महत्व दिया गया हैय़ कठोर तप द्वारा अपने शरीर को अनेक तरह के कष्ट देकर आत्म शुद्धि करना और मोक्ष पाने का प्रयास करना जैन धर्म का मूल सिद्धांत है। स्वयं महावीर स्वामी ने 12 वर्ष तक कठोर तप करके अनेक कष्ट सहकर ज्ञान की प्राप्ति की थी।

ईश्वर अस्तित्व में अविश्वास : महावीर स्वामी ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते थे। उनके अनुसार यह संसार 6 तत्वों से मिलकर बना हैय़ मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है।  ईश्वर ने संसार को नहीं बनाया। जैन धर्म के लोग ईश्वर की पूजा

जगह अपने तीर्थकरों की पूजा करते हैं।

कर्म का सिद्धांत : जैन धर्म पुनर्जन्म को मानता है और जैन धर्म के सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का जन्म पूर्व जन्म के कर्मों से प्रभावित होता है, इसलिए अच्छे कर्म करने चाहिए।

जैन धर्म सांसारिक कष्टों और दुखों से मुक्ति पाने के लिए इच्छाओं और विषय-वासनाओं पर नियंत्रण स्थापित करने को एकमात्र उपाय मानता है।

Answered by Aʙʜɪɪ69
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Explanation:

वे थे, अहिंसा, सत्य, अस्तेय और अपरिग्रह। महावीर जैना ने एक और सिद्धांत जोड़ा, जिसका नाम है ब्रम्हचर्य या ब्रह्मचर्य। उनके अनुसार, ये पांच गुण जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने और अस्तित्व की धारा को पार करने के लिए आवश्यक थे।

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