महायज्ञ का पुरस्कार( कहानी) के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण।
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इस कहानी के मुख्य पात्र सेठ एवं सेठानी अपनी गरीबी को दूर करने के लिए यज्ञ के फल को बेचने के लिए विबस होना पड़ा .
सेठ जी का चरित्र चित्रण –
महायज्ञ का पुरस्कार कहानी में सेठ जी प्रमुख पात्र बन कर उभरते है. वह अत्यंत धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे. वह इतने परोपकारी थे की कोई भी उनके दरवाजे से खाली हाथ नहीं जाता था .उदार मन से वह दान करते थे. वह किसी मनुष्य को क्या ,किसी जीव को भी दुखी नहीं करना चाहता थे. इसी कारण वह बड़े – से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार रहते थे. वह खुद रोटियाँ न खाकर मरियल कुत्ते को रोटियाँ खिला दी .
आत्म सम्मान –
सेठ जी चरित्र में आत्म सम्मान है . वह अपने कुत्ते को रोटी खिलाने के कार्य को कर्तव्य बता कर यज्ञ को नहीं बेचे और धन्ना सेठ जी के यहाँ से खली हाथ लौट आये . सेठ जी के चरित्र में हमें आत्म सम्मान एवं स्वाभिमान के गुण भी दिखाई देते है .
मानवोचित गुण –
lllसेठ जी के चरित्र में सभी मानवोचित गुण है जो एक सच्चे मनुष्य में होने चाहिए . इसीलिए भगवान् ने उनके सत्कात्यों के लिए उचित इनाम भी दिया . अतः हम कह सकते है की उनका चरित्र अत्यंत प्रभावशाली है . अपने नैतिक मूल्यों एवं मानवोचित गुण के कारण पाठकों पर एक गहरी छाप छोड़ते हैं .
सेठानी का चरित्र चित्रण –
सेठ की पत्नी बुद्धिमत्ती स्त्री है। मुसीबत के समय अपना धैर्य न खोते हुए उसने अपने पति को अपना एक यज्ञ बेचने की सलाह दी। विपत्ति की स्थिति में वह अपने पति को ईश्वर पर विश्वास और धीरज धारण करने को कहती है। इस प्रकार सेठ की पत्नी भी कर्तव्य परायण,धीरवती,ईश्वर पर निष्ठा रखने वाली और संतोषी स्त्री थी।
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Answer:
सेठ जी – सेठ अत्यंत विनम्र एवं उदार स्वभाव के थे। कोई भी साधु संत उनके द्वार से निराश नहीं लौटता था ,भरपेट भोजन पाता जो भी उनके सामने हाथ पसार था उसकी इच्छा अवश्य पूर्ण होती थी। गरीब होने पर भी उन्होंने अपने कर्तव्य भावना को विस्मृत नहीं किया स्वयं भूखे रहकर भी एक भूखे कुत्ते को अपनी चारों रोटियां खिला दी धन्ना सेठ की पत्नी ने जब उनसे इस घटना को महायज्ञ बताया, तो उन्होंने इसे केवल कर्तव्य भावना का नाम दिया और ऐसे कर्तव्य को बेचना उन्हें उचित ना लगा।