महायज्ञ का पुरस्कार Seth ji ne apni pareshani Ka bkhan kiske samajh Kiya
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प्रस्तुत पाठ लेखक यशपाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत पाठ में सेठ जी कुछ ख़ास विशेषताओं का उल्लेख किया है। सेठजी बड़े विन्रम और उदार थे। सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन दिन दुखियों में बाँट दिया था। यहाँ तक की गरीब हो जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी उदारता को नहीं छोड़ा और पुन:धन प्राप्ति के बाद भी ईश्वर से सद्बुद्धि ही माँगी।
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