Mahabharat
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- भीष्मा पितामह ने दुर्योधन को सलाह दी कि इस युद्ध को मत करो इसमें तुम्हारी हार होगी|
- अर्जुन ने श्रीकृष्ण को चुना क्योंकि वह परम सत्य को जान चुका था कि कृष्ण उनको जीत दिला सकते हैं |
4. भीष्मा पितामह के बाद गुरु द्रोण सेनापति बने|
5. पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश ने से अभिमन्यु ने रोका |
6. द्रोणाचार्य को धृष्टद्युम्न ने मारा उसके बाद कर्ण सेनापति बनेl
7. दुर्योधन का वध भीम ने उसकी जंगा पर गधा मारकर किया
8. अश्वत्थामा ने पांडवों को नींद में ही मार देने की योजना बनाई|
10. युधिष्ठिर,भीम,नकुल,सहदेव,अर्जुन
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- खुद की सच्चाई साबित करने के लिए पितामह ने दुर्योधन के सामने अपने तूणीर में से 5 बाण निकाले और बोले, 'मैंने इन 5 बाणों में अपना सारा बल और शक्ति डाल दी है।
- अर्जुन ने श्री कृष्ण को अपने साथ रखने की इच्छा प्रकट की जिससे दुर्योधन प्रसन्न हो गया क्योंकि वह तो श्री कृष्ण की विशाल सेना लेने के लिये ही आया था। इस प्रकार श्री कृष्ण ने भावी युद्ध के लिये दुर्योधन को अपनी सेना दे दी और स्वयं पाण्डवों के साथ हो गये।
- युधिष्ठिर ने संजय द्वारा धृतराष्ट्र को संदेश भेजा कि "कम-से-कम हमें पाँच गाँव ही दे दें। हम पाँचों भाई इसी से संतोष कर लेंगे और संधि करने को तैयार होंगे।" धृतराष्ट्र ने संतप्त होकर दुर्योधन को समझाया-"बेटा, भीष्म पितामह जो कहते हैं, वही करने योग्य है। युद्ध न होने दो।
- भीम के बाद शल्य सेनापति बनेl
- सिंधु देश का पराक्रमी राजा जयद्रथ अपनी सेना को लेकर पांडव-सेना पर टूट पड़ा। जयद्रथ ने बड़ी कुशलता और बहादुरी से ठीक समय पर व्यूह की टूटी हुई किलेबंदी को फिर से पूरा करके मज़बूत बना दिया और पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया।
- द्रौपदी का भाई धृष्टद्युम्न भी अन्य पात्रों की तरह ही महाभारत का मुख्य पात्र है. जिसके द्वारा गुरू द्रोणाचार्य की मृत्यु हुई थीl इस दिन पाण्डव छल से द्रोणाचार्य को अश्वत्थामा की मृत्यु का विश्वास दिला देते हैं, जिससे निराश हो द्रोण समाधि ले लेते हैं। इस दशा में धृष्टद्युम्न द्रोण का सिर काटकर वध कर देता है। इस दिन कर्ण को कौरव सेनापति बनाया जाता है।
- इस दिन भीम दुर्योधन के बचे हुए सभी भाइयों को मार देता है। सहदेव शकुनि को मार देता है। अपनी पराजय मानकर दुर्योधन एक तालाब मे छिप जाता है, लेकिन पांडव द्वारा ललकारे जाने पर वह भीम से गदा युद्ध करता है। तब भीम छल से दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करता है, इससे दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है। इस तरह पांडव विजयी होते हैं।
- श्रीकृष्ण के श्राप के कारण अश्वत्थामा को कोड रोग हो गया। आज भी वह जीवित है। छुप कर वह पांडवों के शिविर में पहुँचा और घोर कालरात्रि में कृपाचार्य तथा कृतवर्मा की सहायता से पांडवों के बचे हुये वीर महारथियों को मार डाला। केवल यही नहीं, उसने पांडवों के पाँचों पुत्रों के सिर भी अश्वत्थामा ने काट डाले।
- कुंती के इस उत्तर को सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि हे माता आपने जो इतने बडे़ रहस्य को छुपाए रखा जिसके कारण यह महाभारत का महायुद्ध हुआ और हम पांडव अपने ही भाई के हत्यारे बने इसलिए मैं आपको सामने रखकर संपूर्ण नारी जाति को यह शाप देता हूं कि वह कोई भी रहस्य छुपा नहीं सकेंगी।
- पांडव पांच भाई थे जिनके नाम हैं - युधिष्ठिर , भीम , अर्जुन , नकुल और सहदेव
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