Hindi, asked by vinod2553, 3 months ago

Mahabhoj upanyas ka shirshak

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Answered by marinetlady
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महाभोज उपन्यास का ताना-बाना सरोहा नामक गाँव के इर्द-गिर्द बुना गया है। सरोहा गाँव उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित है, जहाँ विधान सभा की एक सीट के लिए चुनाव होने वाला है। कहानी बिसेसर उर्फ़ बिसू की मौत की घटना से प्रारंभ होती है। सरोहा गाँव की हरिजन बस्ती में आगजनी की घटना में दर्जनों व्यक्तियों की निर्मम हत्या हो चुकी थी। बिसू के पास इस हत्याकाण्ड के प्रमाण थे, जिन्हें वह दिल्ली जाकर सक्षम प्राधिकारियों को सौंपना और बस्ती के लोगों को न्याय दिलाना चाहता था। किंतु राजनीतिक षडयंत्र और जोरावर के(जोरावर के खिलाफ पुक्ता सबूत पाए जाने के प्रतिशोधी भावना में किए गए)षड्यंत्र के कारण उसके (बिसू) के चाय में दो लोगों को भेज कर जहर दे मिलवा दिया जाता है,जिसके चलते उसकी मृत्यु हो जाती है। बिसू की मौत के पश्चात उसका साथी बिंदेश्वरी उर्फ़ बिंदा इस प्रतिरोध को ज़िंदा रखता है। बिंदा को भी राजनीति और अपराध के चक्र में फँसाकर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है। अंततः नौकरशाही वर्ग का ही एक चरित्र, पुलिस अधीक्षक सक्सेना, वंचितों के प्रतिरोध को जारी रखता है। जातिगत समीकरण किस प्रकार भारतीय स्थानीय राजनीति का अनिवार्य अंग बन गये हैं, उपन्यास की केंद्रीय चिंता है। पिछड़ी और वंचित जाति के लोगों के साथ अत्याचार और प्रतिनिधि चरित्रों द्वारा उसका प्रतिरोध कथा को गति प्रदान करता है। भंडारी ने उपन्यास में नैतिकता, अंतर्द्वंद्व, अंतर्विरोध से जूझते सत्ताधारी वर्ग, सत्ता प्रतिपक्ष, मीडिया और नौकरशाही वर्ग के अवसरवादी चरित्र पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है।[

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